पटना, 1 सितंबर (आईएएनएस)। बाढ़ग्रस्त बिहार में अभिभावक गंगा नदी के नाम पर या राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआएफ) के भी नाम पर अपने नवजात शिशुओं का नामकरण कर रहे हैं। संकट के समय एनडीआरएफ की टीम ने उनकी मदद की है।
पटना, 1 सितंबर (आईएएनएस)। बाढ़ग्रस्त बिहार में अभिभावक गंगा नदी के नाम पर या राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआएफ) के भी नाम पर अपने नवजात शिशुओं का नामकरण कर रहे हैं। संकट के समय एनडीआरएफ की टीम ने उनकी मदद की है।
विगत कुछ दिनों में अनेक बच्चे राहत शिविरों और एनडीआरएफ की बचाव नौकाओं पर भी पैदा हुए हैं। दिलचस्प बात है कि अधिकांश मामलों में नई माताओं ने अपने बच्चे का नामकरण पवित्र गंगा नदी के नाम पर करने का फैसला किया है।
नकटा दिआरा के रहने वाली सरिता देवी ने पटना के दीघा स्थित राहत शिविर में एक लड़के को जन्म दिया। उन्होंने बच्चे का नाम गंगेश रखा है।
सरिता ने कहा, “मैंने उसका नाम गंगेश रखा है, क्योंकि हम गंगा नदी द्वारा विस्थापित हुए हैं। यह नाम मुझको हमेशा याद दिलाएगा कि मेरा पहला बच्चा राहत शिविर में पैदा हुआ था।”
इसी तरह गुड्डी देवी ने भी बचाव नौका पर एक बेटे को जन्म दिया और उसका नाम गंगापुत्र भीष्म रखा है।
गुड्डी के एक परिजन ने कहा, “हमने अभार व्यक्त करने के लिए गंगा नदी के नाम पर बच्चा का नामकरण किया है।”
एनडीआरएफ के अधिकारी के अनुसार, परिजन चाहते थे कि बच्चे का नाम उन्हें यह याद दिलाए कि वह गंगा नदी में नाव पर पैदा हुआ था।
एक अन्य बच्चे को वैशाली जिले के बीरपुर की रहने वाली रोशनी कुमारी ने जन्म दिया और बच्चे का नाम नमामि गंगे रखा गया है।
रोशनी के पति सरोज पटेल ने कहा, “बचाव नौका पर बच्चे को सुरक्षित जन्म देने में एनडीआरएफ की टीम ने रोशनी की मदद की। आभार व्यक्त करने के रूप में हमने अपने बच्चे का नाम नमामि गंगे रखा है।”
एनडीआरएफ के समादेष्टा विजय सिन्हा ने कहा कि राहत और बचाव अभियानों के दौरान दर्जनों गर्भवती महिलाओं को नाव से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
उन्होंने कहा, “संकट की घड़ी में गर्भवती महिलाओं की मदद करना हमारा कर्तव्य है।”
इसके बाद यह कम चौंकाने वाली बात है कि भोजपुर जिले में एक बच्चे का नाम एनडीआरएफ सिंह रखा गया है, क्योंकि एनडीआरएफ की टीम ने मदद की थी।
अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बिहार में 12 जिलों के 2037 गांवों में 37 लाख लोग बाढ़ प्रभावित हैं। करीब 5 लाख लोग विस्थापित हुए हैं जिनमें 3.03 लाख लोग सरकारी राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।
सरकार के अनुसार, बाढ़ से राज्य में 58 लोगों की मौत हो चुकी है।
ऐसा प्रतीत हो रहा होता है कि अब बुरे दिन बीतने वाले हैं, क्योकि गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों का जलस्तर तेजी से घट रहा है।