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 बांध विरोध : छग-उप्र के आंदोलनकारियों पर गोलीबारी | dharmpath.com

Sunday , 20 April 2025

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बांध विरोध : छग-उप्र के आंदोलनकारियों पर गोलीबारी

कनहर बांध के निर्माण के विरोध में छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश तथा झारखंड के सैकड़ों आदिवासी लगातार आंदोलनरत हैं। ये अनिश्चितकालीन धरने पर हंै।

सूत्रों के अनुसार, कनहर नदी पर बन रहे इस बांध से तीन राज्यों के तकरीबन 80 गांव डूबेंगे, जिसमें अकेले छत्तीसगढ़ के 16 गांव हैं।

बांध के डूब क्षेत्र में छत्तीसगढ़ का एक बड़ा एलिफेंट कॉरिडोर भी शामिल है। इससे पहले भी धरनास्थल पर आक्रोशित विस्थापितों और यूपी के प्रशासनिक अधिकारियों के बीच जमकर मारपीट हुई थी, जिसके बाद 17 विस्थापितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया था।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में गीधा धोधा नामक स्थान से निकलने वाली कनहर, सोन नदी के समानांतर बहती है और वर्षा ऋतु में अपने तीव्र बहाव की वजह से देश की खतरनाक नदियों में एक हो जाती है।

कनहर से जुड़े आंदोलनकारियों का कहना है कि उत्तरप्रदेश सरकार विस्थापितों की सही संख्या और डूब क्षेत्र का सही सर्वे नहीं करा रही है। उत्तरप्रदेश में विस्थापितों की पहचान और उन्हें मुआवजे की रकम देने का काम शुरू कर दिया गया है, लेकिन छत्तीसगढ़ को लेकर किसी भी किस्म की विस्थापन नीति नहीं बनाई गई है, न ही डूब क्षेत्रों का सर्वे किया गया है।

गौरतलब है कि केंद्रीय जल आयोग ने इस परियोजना के लिए अक्टूबर माह में 2252.29 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। छत्तीसगढ़ सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता एच.आर. कुटारे ने कुछ दिनों पहले ही कहा था कि वे पूरे मामले की जानकारी ले रहे हैं। राज्य के लोगों और यहां के वन क्षेत्र का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।

कनहर बांध के बनने से लगभग 60 हजार की आबादी के प्रभावित होने की संभावना है, जिनमे से अकेले छत्तीसगढ़ के लगभग 16 हजार लोग प्रभावित होंगे। जिसमें से ज्यादातर आबादी आदिवासियों की है। पिछले 38 वर्षों से लंबित पड़ी इस परियोजना के लिए पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र 1980 में लिया गया, जबकि नियमों के मुताबिक उक्त बहांध के लिए नए अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए जाने जरूरी थे।

गौरतलब है कि पिछले 35 वर्षों में उस इलाके में हजारों मेगावाट की बिजली परियोजनाएं अस्तित्व में आई है और समूचे इलाके का पारिस्थितिक तंत्र पूरी तरह से छिन्न-भिन्न हो गया है।

कनहर परियोजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि बांध की ऊंचाई पूर्व की भांति 39.90 मीटर व चौड़ाई 3.24 किलोमीटर है। इससे 0.15 मिलियन एकड़ फिट जल उपयोग कर 121 किलोमीटर मुख्य नगर एवं 190 किलोमीटर लंबे राजवाहों के माध्यम से कुल 354467 हेक्टेयर भूमि सिंचित करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे उत्तरप्रदेश के 108 गांवों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के रामानुजगंज-बलरामपुर के गांवों को भी लाभ मिलने की बात कही जा रही है।

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