नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की पार्टी को क्या मायावती के सभी दलितों का वोट मिला? इस महत्वपूर्ण प्रश्न का जवाब उत्तर प्रदेश एससी/एसटी आयोग के अध्यक्ष को लिखे पत्र में दिया गया है।
सोमवार शाम आयोग के अध्यक्ष ब्रजलाल ने मैनपुरी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को मुलायम सिंह यादव के उन यादव समर्थकों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है जिन्होंने कथित रूप से चुनाव में गठबंधन होने के बावजूद समाजवादी पार्टी के पक्ष में वोट नहीं करने के लिए दलितों पर बुरी तरह हमला किया और गोलीबारी की।
घायलों में दलित समुदाय की एक महिला और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का एक जवान भी है।
एसएसपी को लिखे अपने पत्र में आयोग के अध्यक्ष ने इस मामले पर अपना गुस्सा जाहिर किया है। यह मामला मैनपुरी में 23 अप्रैल को मतदान के कई सप्ताहों के बाद का है।
नगला मंधाता के यादवों को बहुत बाद में पता चला कि उनके गांव के दलितों ने सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार मुलायम सिंह यादव को वोट नहीं दिया है। मायावती ने पहली बार मुलायम सिंह के साथ मैनपुरी में जनसभा की थी और सार्वजनिक तौर पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के समर्थकों को गठबंधन को वोट देने का आग्रह किया था।
एक-दूसरे दलों के वोट नहीं मिलने के मुद्दे पर जब स्थानीय गांव के दलितों और यादवों में विवाद बढ़ गया तो आरोपियों ने गोली चला दी और दलितों को लाठियों से पीटा। दलित समुदाय का एक बीएसएफ जवान मौके से भागने में सफल रहा और उसने बाद में मामला दर्ज कराया।
एससी/एसटी आयोग ने एसएसपी से घटनास्थल का दौरा करने और गांव के दलित समुदाय को उचित सुरक्षा देने का आश्वासन देने का निर्देश दिया है। एसएसपी को आरोपियों को गिरफ्तार करने का भी निर्देश दिया गया है।
मुलायम सिंह यादव हालांकि सम्मानजनक स्थिति से जीत गए, लेकिन वोट स्थानांतरण का मुद्दा नगर में व्यापक रूप से चर्चा में रहा। लोगों को यह कहते हुए सुना गया कि खास वर्ग के दलित समुदाय ने सपा-बसपा गठबंधन को वोट नहीं दिया।