नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने बुधवार (23 अगस्त) को कहा कि उनकी पार्टी ने अगले साल उत्तर प्रदेश में अपने दम पर लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है, क्योंकि पिछले अनुभव से पता चलता है कि गठबंधन में प्रवेश करने से उसे कुछ हासिल नहीं होता है.
उन्होंने दावा किया कि जब भी बसपा यूपी में किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ती है, तो उसके वोट गठबंधन साझेदार को मिल जाते हैं, लेकिन इसका उलटा नहीं होता है.
एक बयान में उनके हवाले से कहा गया है, ‘बसपा को यूपी में गठबंधन करने से फायदे से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि उसके वोट स्पष्ट रूप से गठबंधन सहयोगी को मिलते हैं, लेकिन अन्य दलों के पास हमारे उम्मीदवार को अपना वोट ट्रांसफर कराने की सही मंशा या क्षमता नहीं होती.’
उन्होंने कहा कि इस ‘कड़वे सच’ को ध्यान में रखना होगा, क्योंकि इससे पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ता है. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा, ‘इसलिए हमने अगले साल संसदीय चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है.’
बयान में कहा गया है कि उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं से ‘सर्व समाज’ के बीच समर्थन आधार बढ़ाने के लिए गांवों में छोटी कैडर-आधारित बैठकें आयोजित करके संगठन को मजबूत करने के लिए काम करने को कहा.
बसपा ने इससे पहले यूपी में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. पार्टी ने पिछला लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ लड़ा था और वर्तमान में यूपी से लोकसभा में उसके 10 सांसद हैं. यूपी, उत्तराखंड और पंजाब में भी उसके कुछ विधायक भी हैं.
सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्ष के इंडिया गठबंधन के बारे में मायावती ने कहा कि हालांकि वे अगले साल केंद्र में सत्ता में आने के दावे कर रहे हैं, लेकिन सरकार में रहते हुए उनके द्वारा किए गए वादे खोखले साबित हुए हैं.
उन्होंने कहा, ‘दोनों गुटों ने ‘बहुजन समाज’ के कल्याण के लिए बहुत कम काम किया है और वे ज्यादातर संकीर्ण राजनीति में लिप्त होकर समाज को तोड़ने और कमजोर करने में व्यस्त रहे हैं, इसलिए उनसे दूरी बनाए रखना बेहतर है.’