इस्लामाबाद, 18 अगस्त (आईएएनएस)। पाकिस्तान के अग्रणी अखबार ‘डॉन’ का कहना है कि बलूचिस्तान और पाकिस्तानी (कब्जे वाले) कश्मीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस भाषण में की गई टिप्पणी से ‘द्विपक्षीय मामलों से जुड़े मुद्दों को सुलझाने में कोई मदद नहीं मिलेगी।’ अखबार ने कहा है कि दोनों देशों के मौजूदा रिश्ते ‘विषैले’ हो गए हैं।
‘डॉन’ ने अपने संपादकीय में दोनों देशों के बीच संबंधों की वर्तमान स्थिति को जहरीला बताते हुए कहा, “नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को अपने भाषण के दौरान अनावश्यक रूप से बलूचिस्तान, गिलगिट बाल्टिस्तान और ‘आजाद कश्मीर’ को बहस का मुद्दा बना दिया। इससे न तो द्विपक्षीय संबंधों में कोई मदद मिलेगी और न ही कश्मीर में छाई अशांति को हल करने में कोई मदद मिलेगी।”
अखबार ने भारत सरकार को पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे पर भेजे गए आमंत्रण पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देने की सलाह दी है। अखबार ने लिखा है, “भारत के विदेश सचिव को पाकिस्तान के आमंत्रण का सकारात्मक जबाव देना चाहिए। दोनों पक्षों को ईमानदारी से कश्मीर समेत अन्य मुद्दों पर विचार करने की जरूरत है।”
भारत ने बुधवार को कहा कि वह पाकिस्तान के साथ सीमापार आतंकवाद के मसले पर बातचीत के लिए तैयार है।
अखबार ने दोनों देशों के मौजूदा संबंधों को जहरीला बताते हुए दोनों ही देशों से आरोप-प्रत्यारोप छोड़कर कश्मीर की स्थिति से परिपक्व तरीके से निपटना चाहिए।
अखबार ने संपादकीय में कहा है, “जहां भारत यह दावा करता है कि कश्मीर में जारी अशांति को पाकिस्तान बढ़ावा दे रहा है, वहीं, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि भारत के दमनकारी तरीकों के कारण ही विद्रोह पनपा है।”
अखबार के संपादकीय में कहा गया है, “बातचीत के लिए पाकिस्तान के बुलावे का काफी महत्व है, क्योंकि इससे पाकिस्तान और भारत को बातचीत की प्रक्रिया फिर शुरू करने का मौका मिला है।”
इसमें कहा गया है कि ‘भारत को कश्मीर को दबाकर रखने की रणनीति का कोई फायदा नहीं हो रहा है, बल्कि इससे स्थानीय लोगों में भारत के खिलाफ आक्रोश बढ़ा ही है।’
इसमें कहा गया है, “क्रूर सरकारी दमन केवल कश्मीरियों में अलगाव की भावना पैदा करेगा और विरक्त युवाओं को बंदूक उठाने के लिए मजबूर करेगा।”
संपादकीय में कहा गया है कि सीमा पार से एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने से मामला और बदतर ही होगा।
कश्मीर घाटी में 8 जुलाई को आतंकवादी कमांडर बुरहान वानी की हत्या के बाद से ही अशांति का माहौल है। अब तक प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच की झड़प में 60 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।