नई दिल्ली, 14 जनवरी (आईएएनएस)। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) प्रमुख अविनाश चंदर की बर्खास्तगी के एक दिन बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने बुधवार को कहा कि उन्हें हटाने की सिफारिश उन्होंने ही की थी और इसकी कमान एक युवा व्यक्ति को सौंपी जाएगी।
कांग्रेस द्वारा आलोचना के बीच पर्रिकर ने इस बात पर जोर दिया कि इसमें कोई विवाद नहीं है।
मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने चंदर की सेवा समाप्ति को मंजूरी दी है, जो 31 जनवरी से प्रभावी होगी। अग्नि श्रृंखला के प्रक्षेपास्त्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके चंदर 30 नवंबर, 2014 को 64 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत हो गए थे। हालांकि अनुबंध के आधार पर वह अपने पद पर बने रहे। उनका अनुबंध 31 मई, 2016 को समाप्त होना था।
पर्रिकर ने मंगलवार को कहा था, “मैंने सिफारिश की थी कि इतने ऊंचे पद पर अनुबंध पर नियुक्त व्यक्ति न हो। इस वरिष्ठ पद पर किसी योग्य वरिष्ठ अधिकारी को बिठाया जाना चाहिए। इसमें कोई विवाद नहीं है।”
उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि डीआरडीओ की कमान किसी युवा व्यक्ति के हाथ होनी चाहिए। मैंने उन्हें हटाने को लेकर सिफारिश की थी और उन्होंने अपनी सहमति जताई।”
इसी बीच, खबर मिली है कि प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक शेखर बसु को अविनाश चंदर की जगह डीआरडीओ की कमान सौंपी जा सकती है।
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के प्रमुख बसु ने उस परमाणु प्रणाली को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे भारतीय नौसेना के अरिहंत श्रेणी के पनडुब्बियों को सुसज्जित किया गया है।
कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाला सर्च पैनल डीआरडीओ के शीर्ष वैज्ञानिकों में से किसी का चुनाव इस शीर्ष पद के लिए करेगा।
पर्रिकर ने कहा कि उनकी सिफारिश पर अविनाश चंदर का विस्तारित कार्यकाल खत्म किया गया है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने अचानक लिए गए इस फैसले पर सवाल उठाया है।
दिग्विजय सिंह ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाया और चंदर की सेवा अचानक समाप्त करने को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है।
दिग्विजय ने ट्वीट किया, “कार्यकाल समाप्त होने के पहले ही डीआरडीओ प्रमुख अविनाश चंदर को बर्खास्त कर दिया गया। क्या सरकार कृपया स्पष्टीकरण देगी?”
बर्खास्तगी को लेकर कार्मिक तथा प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की वेबसाइट पर एक अधिसूचना जारी की गई थी, लेकिन बाद में हटा ली गई।
यह पूछे जाने पर कि बिना सूचना दिए अचानक उन्हें पद से हटाया जाना सही है, पर्रिकर ने कहा, “मैंने भी यह सूचना आप से, अखबार से और टेलीविजन से पाई है।”
पर्रिकर ने संवाददाताओं से कहा, “डीआरडीओ प्रमुख का सेवाकाल नवंबर में ही खत्म हो गया था, लेकिन पूर्व मंत्रिमंडल ने उनकी सेवा को तीन वर्षो के विस्तार की मंजूरी दी थी।”
उन्होंने कहा, “उनकी जगह कौन लेंगे, इसका फैसला अभी नहीं हुआ है। हम इस पद पर फिलहाल अस्थायी तौर पर किसी की नियुक्ति करेंगे।”
उल्लेखनीय है कि बीते साल अगस्त में डीआरडीओ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना का शिकार होना पड़ा था। उन्होंने कहा था कि ‘चलता है’ वाली मानसिकता छोड़कर डीआरडीओ को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का विकास करना होगा।
इसी भाषण में मोदी ने युवा प्रतिभाओं को बढ़ावा देने की भी बात की थी।
मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है।
भारत लगभग 80 फीसदी रक्षा जरूरतें आयात से पूरी करता है।
डीआरडीओ के जिम्मे कई परियोजनाएं लंबित पड़ी हैं, जिनमें हल्का लड़ाकू विमान तेजस, कावेरी इंजन, सतह से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी के प्रक्षेपास्त्र, हवा से हवा में मार करने वाला आस्ट्रा प्रक्षेपास्त्र व टैंक रोधी मिसाइल हेलिना प्रमुख हैं।
पर्रिकर के पहले रक्षा मंत्री रहे अरुण जेटली ने बीते साल बजट सत्र के दौरान इन परियोजनाओं में विलंब होने के पीछे प्रौद्योगिकी चुनौतियां, कुशल लोगों की कमी और देश के बुनियादी ढांचे का हवाला दिया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।