कोलकाता, 24 मार्च (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुखौटा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के दो फूल वाले चिन्ह से सजी साड़ियों को कड़ी टक्कर दे रहा है। इस साल नौ गज का यह परिधान टोपियों, टी-शर्ट और अन्य प्रचार सामग्रियों में शामिल हो गया है, जो पश्चिम बंगाल में खूब बिक रहा है।
कोलकाता, 24 मार्च (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुखौटा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के दो फूल वाले चिन्ह से सजी साड़ियों को कड़ी टक्कर दे रहा है। इस साल नौ गज का यह परिधान टोपियों, टी-शर्ट और अन्य प्रचार सामग्रियों में शामिल हो गया है, जो पश्चिम बंगाल में खूब बिक रहा है।
मध्य कोलकाता के थोक केंद्र बरा बाजार की व्यस्त रहने वाली पाग्या पट्टी लेन के दुकानदारों को इस नए परिधान की आपूर्ति के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है।
45 साल पुरानी एक दुकान एस.पी. टेक्सटाइल के मालिक पारस गंभीर ने आईएएनएस को बताया, “तारीखों की घोषणा के बाद से, हमारे पास पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से भारी मात्रा में ऑर्डर आ रहे हैं। बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा इस तरह की साड़ियों और टी-शर्ट के लिए अधिकतर ऑर्डर किए गए हैं। इस बार भाजपा के चिन्ह वाली सामग्रियों की प्रसिद्धि में भी इजाफा हुआ है।”
साड़ियों के कच्चे माल सूरत और अहमदाबाद से आते हैं। सूत और पॉलिएस्टर-मिश्रित एक साड़ी की कीमत 160 रुपये है।
गंभीर ने हालांकि विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा दिए गए अनुमानित ऑर्डरों के बारे में बताने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि उनके पास कांग्रेस और माकपा के राजनीतिक चिन्ह वाले कपड़े के सामान का भंडार है, लेकिन उनकी मांग न के बराबर है।
उन्होंने कहा, “इन वस्तुओं के लिए पार्टियों द्वारा भारी मात्रा में ऑर्डर दिए जाते हैं। कभी-कभार कई पार्टी प्रशंसक यहां इन सामानों को खरीदने के लिए आते हैं और हम रोजाना एक लाख से ज्यादा का व्यापार करते हैं।”
गंभीर ने कहा, “ज्यादातर लोग भाजपा समर्थक सामग्रियों की खरीद कर रहे हैं। पार्टी निश्चित रूप से राज्य में जनाधार बढ़ा रही है।”
नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, सोनिया गांधी और ममता बनर्जी जैसे दिग्गज नेताओं के कट-आउट वाले मुखौटों से दुकान भरी हुई है। इसके अलावा दुकान में जैकेट, टोपी, टी-शर्ट्स, झंडे और अन्य चीजें भरी हुई हैं।
उन्होंने कहा, “अन्य चीजों के मुकाबले मोदी के मुखौटे की मांग बहुत अधिक है।”
एक ग्राहक ने बिना अपना नाम बताए कहा, “बंगाल में विकास तो होना ही चाहिए। दीदी (ममता बनर्जी) ने जो किया है, उससे बेहतर कौन करेगा, वह तो देखना पड़ेगा।”