नई दिल्ली, 12 जुलाई (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले की एक उपनगरीय रेलगाड़ी में हुए बम विस्फोट की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) इस मामले में राजनीतिक पार्टियों, स्थानीय गिरोहों और आतंकवादी संगठनों की संदिग्ध भूमिका पर नजर रखे हुए है।
नई दिल्ली, 12 जुलाई (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले की एक उपनगरीय रेलगाड़ी में हुए बम विस्फोट की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) इस मामले में राजनीतिक पार्टियों, स्थानीय गिरोहों और आतंकवादी संगठनों की संदिग्ध भूमिका पर नजर रखे हुए है।
ट्रेन संख्या 31811 (सियालदह-कृष्णानगर ईएमयू लोकल) में हुए विस्फोट की जांच कर रहे अधिकारियों को एनआईए के शीर्ष अधिकारियों ने निर्देश दिया है कि वे राजनीतिक पार्टियों और स्थानीय गिरोहों पर भी नजर रखें। विस्फोट 12 मई को तीतागढ़ रेलवे स्टेशन पर हुआ था।
पहचान जाहिर न करने की शर्त पर एनआईए के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “हमारे पास आतंकवादी मामलों से निपटने के लिए एक विशेष इकाई है। इसी के चलते सरकार ने हमें ट्रेन विस्फोट मामले की जांच सौंपी है। लेकिन हम पश्चिम बंगाल पुलिस के स्थानीय गिरोहों के शामिल होने के मत को खारिज नहीं कर सकते। राजनीतिक पाíटयां भी हमारे निशाने पर हैं।”
पूर्वी रेलवे के सियालदह मुख्य स्टेशन के अंतर्गत आने वाली एक लोकल ट्रेन में इंजन की ओर से पांचवे डिब्बे में विस्फोट हो गया था। तड़के चार बजे हुए इस बम विस्फोट में कुल 15 यात्री घायल हुए थे, जिनमें से छह गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उन्होंने चोट के कारण दम तोड़ दिया था।
ट्रेन तड़के 3.20 बजे सियालदह स्टेशन से रवाना हुई थी और 3.55 मिनट पर वह तीतागढ़ स्टेशन पहुंची थी। तीतागढ़ पर एक व्यक्ति ट्रेन पर सवार हुआ, जिसके तुरंत बाद ही विस्फोट हो गया।
इससे पहले पश्चिम बंगाल के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने दावा किया था कि दो समूह ट्रेन से यात्रा कर रहे थे कि तभी वे एक दूसरे से भिड़ गए और उन्होंने क्रूड बम भी फेंके।
एनआईए ने 26 जून को गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के बाद तीन जुलाई को मामले की जांच का जिम्मा अपने हाथों में ले लिया। साथ ही जांच एजेंसी ने खतरनाक हथियारों से स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाने, हत्या के प्रयास, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और रेलवे अधिनियम समेत भारतीय दंड संहिता की कई अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया।
इस मामले के साथ ही जांच एजेंसी के पास अभी 103 मामले दर्ज हैं। 14 मामलों में फैसला सुनाया जा चुका है, जबकि 12 मामलों में दोष सिद्ध हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त 60 मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए हैं।
दो अक्टूबर को हुए बर्दवान विस्फोट का हवाला देते हुए अधिकारी ने कहा, “इस तरह के मामलों में देखा गया है कि पश्चिम बंगाल पुलिस धीमी गति से प्रतिक्रिया करती है। बर्दवान मामला जब पहली बार प्रकाश में आया था तब भी पुलिस ने धीमी गति से कार्रवाई की थी।”
उन्होंने कहा, “पश्चिम बंगाल में हुए विस्फोटों के अधिकांश मामलों को मामूली और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता करार दिया जाता है। इसीलिए हम राजनीतिक दलों की पूर्व की गतिविधियों पर भी नजर रखेंगे।”
अधिकारी के मुताबिक, बर्दवान विस्फोट मामले की जांच के दौरान जांच एजेंसी ने बम बनाने की कई फैक्ट्रियों का खुलासा किया था। उन्होंने कहा, “चूंकि स्थानीय क्षेत्रों में बम बनाए जाते हैं, इसीलिए यह दो गिरोहों का भी काम हो सकता है।”