सोशल नेटवर्किंग साइट या इंटरनेट पर तस्वीरें अपलोड करना बहुत मुश्किल नहीं. एक फोटो छांटी और अपलोड कर दी. लेकिन तस्वीर अपने साथ यूजर और उसकी तकनीक से जुड़ी 50 से भी ज्यादा जानकारियां ऑटोमैटिक अपलोड कर देती है.
जर्मनी में फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट के आईटी सिक्योरिटी विशेषज्ञों के मुताबिक सोशल नेटवर्किंग साइट पर कोई भी फोटो डालने से पहले उसका मेटाडाटा हटा दिया जाना चाहिए. कुछ सॉफ्टवेयर तस्वीर से जुड़ी कई जानकारियां बता देते हैं. खास सॉफ्टवेयरों में फोटो डालने पर उसके मेटाडाटा से पता चल जाता है कि तस्वीर कब खींची गई, कौन सा कैमरा इस्तेमाल किया गया, कौन से एडिटिंग टूल से इसे निखारा गया.
इंस्टीट्यूट के मुताबिक मेटाडाटा का इस्तेमाल हैकर कर सकते हैं. संस्थान की सिक्योर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी शाखा ने शोध के बाद यह दावा किया है. तस्वीरों के मेटाडाटा के जरिए हैकर यूजर के कंप्यूटर के बारे में काफी जानकारी हासिल कर सकते हैं. मेटाडाटा के जरिए उन तमाम वेबसाइटों पर जाना संभव है, जहां एक सी तस्वीर लगी हुई है. यहां तक कि वो पासवर्ड का अंदाजा भी लगा सकते हैं. इंस्टीट्यूट के मुताबिक मेटाडाटा को कुछ एडिटिंग सॉफ्टवेयरों से हटाया जा सकता है.
विशेषज्ञ बताते हैं कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर हैकरों के ऐसे अटैक ऑटोमैटिक होते हैं. यूजर्स को अक्सर अनजान शख्स से मैसेज के साथ फ्रेंड रिक्वेस्ट भी आती हैं. एक्सपर्टों के मुताबिक मेटाडाटा के जरिए ही हैकर वो जानकारी हासिल कर पाते हैं, जो सामान्य तौर पर आपके दोस्तों तक ही सीमित रहती है.
एक्सपर्टों की सलाह है कि तस्वीरों में मेटाडाटा का इस्तेमाल वही करें, जो तस्वीर को कॉपीराइट करना चाहते हों. फोटोग्राफी के शौकीन भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.