मुंबई, 28 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के नए अध्यक्ष के तौर पर फिल्म निर्माता पहलाज निहलानी फिल्में पास करने व सेंसरिग को एक तेज व निर्विवाद प्रक्रिया बनाने पर अटल हैं।
मुंबई, 28 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के नए अध्यक्ष के तौर पर फिल्म निर्माता पहलाज निहलानी फिल्में पास करने व सेंसरिग को एक तेज व निर्विवाद प्रक्रिया बनाने पर अटल हैं।
निहलानी ने कहा, “जिस तरह फिल्मों का निरीक्षण हो रहा है, मैं यकीनन उस प्रक्रिया को बदलने जा रहा हूं, जिससे कि फिल्म को एक बार प्रमाणपत्र मिलने के बाद बोर्ड की साख को लेकर कोई विवाद या संदेह न हो। सेंसरिग प्रकिया जवाबदेह होगी और इसमें संदेह के लिए कोई जगह नहीं होगी।”
सीबीएफसी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष निहलानी को यह भी लगता है कि सेंसरिग के लिए जारी किए गए दिशा-निर्देशों का सही से पालन नहीं किया जा रहा था।
उन्होंने कहा, “सीबीएफसी के सदस्यों के लिए क्या करना है और क्या नहीं करना है, ये दिशा-निर्देश हमेशा से ही बहुत स्पष्ट हैं। लेकिन उनको कभी भी सही तरीके से लागू नहीं किया गया। बोर्ड सदस्य दिशा-निर्देशों के बारे में अनजान थे। उन्हें दोष नहीं दे सकते।”
निहलानी ने कहा, “उन्हें उनके काम से जुड़े नियमों के बारे में अपडेट करने के लिए समय-समय पर कार्यशालाएं कराई जाएं। उन्होंने कभी कार्यशालाओं का आयोजन नहीं कराया था। 100 ज्यूरी सदस्यों में से महज 15 ने अपना काम ठीक ढंग से किया। वे सेंसरिग के अपने काम को दिशानिर्देशों से अनजान होकर कर रहे थे। जिसकी वजह से परस्पर विरोध व दोहरे मापदंड के आरोप लगे।”
निहलानी को यह भी लगता है कि हमारी फिल्मों में मारधाड़ की अधिकता है।
उन्होंने कहा, “मैं जानता हूं कि हम एक बेरहम समय में जी रहे हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी फिल्मों को भी मार-काट व रक्तपात दिखाना ही पड़ेगा।”
निहलानी ने मारधाड़ कैसे प्रभावी हो सकती है कि यह साबित करने के लिए महानायक अमिताभ बच्चन अभिनीत दो फिल्मों के उदाहरण दिए।
उन्होंने कहा, “दीवार’ व ‘त्रिशूल’ बेहद हिंसक फिल्में हैं। लेकिन वास्तव में फिल्म के पर्दे पर कितनी हिंसा दिखाई गई? क्रूरता दिखाने के लिए हमें इसमें लिप्त होने की जरूरत नहीं है।”