मंत्रालय की ओर से जारी वक्तव्य में विदेश मंत्री ने कहा, “सीमित संसाधनों के बावजूद हम सभी फिलीस्तीनियों के घर नई शरण की तलाश कर रहे लोगों के लिए खोलने को तैयार हैं।”
वक्तव्य में आगे कहा गया है कि फिलीस्तीनियों को अपनी जन्मस्थली पर रहने का पूरा अधिकार है, न कि उन्हें निर्वासन में रहना पड़े या एक पनाहगाह से दूसरी पनाहगाह की तलाश में भटकना पड़े।
इस बीच इजरायल के राजनेताओं ने इससे विपरीत विचार व्यक्त किए हैं।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल पिछले चार वर्षो से घायल सीरियाई नागरिकों की मदद करता रहा है, लेकिन वह सीरियाई शरणार्थियों को अपने इलाके में शरण नहीं देंगे।
नेतन्याहू ने मंत्रिमंडल की साप्ताहिक बैठक के बाद जारी वक्तव्य में कहा है, “इजरायल, सीरिया और अफ्रीका के शरणार्थियों की मानवीय समस्या के प्रति उदासीन नहीं है। लेकिन इजरायल बहुत छोटा देश है, बेहद छोटा सा देश जिसकी जनसांख्यिकी एवं भौगोलिक क्षमता ज्यादा नहीं है।”
इजरायल मौजूदा शरणार्थी समस्या को शांति प्रक्रिया में सबसे बड़ी बाधा के तौर पर देखता है, जबकि फिलीस्तीन की नजर में शांति प्रक्रिया में मुख्य बाधा इजरायल द्वारा फिलीस्तीन की धरती पर की जा रही बसावट को देखता है।
फिलीस्तीन के विदेश मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से खासकर यूरोपीय देशों से सीरिया से आ रहे फिलीस्तीनी शारणार्थियों को प्रवेश की अनुमति देने के लिए इजरायल पर दबाव बनाने का अनुरोध किया है।
इसके अलावा फिलीस्तीन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से शरणार्थियों को मानवीय और सम्मानजनक तरीके से बसाने के लिए वित्तीय मदद के लिए भी गुहार लगाई है।