नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने शनिवार को कहा है कि प्रेस्क्रिप्शन वाली दवाओं का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करने में चिकित्सक ही नहीं, बल्कि फार्मासिस्ट की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। लिहाजा दवाओं का सुरक्षित और प्रभावी इस्तेमाल सुनिश्चित करना उनके लिए एक अनुपूरक प्रयास है।
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. मार्तण्ड पिल्लै और महासचिव डॉ. के. के. अग्रवाल ने इस संबंध में एक श्वेतपत्र जारी करते हुए कहा, “एमसीआई की आचार संहिता के कुछ हिस्से ऐसे हैं, जो फार्मासिस्ट के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्हें इनके संबंध में जानकारी रखनी चाहिए और इनका पालन भी करना चाहिए।”
अधिनियम 5.3 कहता है कि फिजिशियन को फार्मेसी को पहचान देनी चाहिए और उसकी सेवाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर उसका सहयोग भी लेना चाहिए।
अधिनियम 3.7.1 के मुताबिक, अगर कोई चिकित्सक अपने पास से भी मरीज को कोई दवा दे रहा है तो उसे इसके बारे में प्रेस्क्रिप्शन जरूर बनाना चाहिए।
चिकित्सक द्वय ने कहा, “अधिनियम 1.5 यह कहता है कि जहां तक संभव हो प्रेस्क्रिप्शन में दवा का जेनरिक नाम ही लिखा जाना चाहिए। हर चिकित्सक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी प्रेस्क्रिप्शन और दवाओं का इस्तेमाल ता*++++++++++++++++++++++++++++र्*क ढंग से हो।”
आईएमए ने कहा, “हर फार्मासिस्ट को यह पता होना चाहिए कि अधिनिनयम 7.13 के मुताबिक, उसकी दुकान पर किसी भी डॉक्टर का साइनबोर्ड लगाना गलत है।”
उन्होंने कहा, “अधिनियम 1.4.1 कहता है कि हर प्रेस्क्रिप्शन में उसे लिखने वाले डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन नंबर जरूर होना चाहिए। दवा देते समय फार्मासिस्ट को इसकी जांच जरूर कर लेनी चाहिए।”
अधिनियम 6.7 के मुताबिक, डॉक्टरों के लिए दया मृत्यु देना गैर कानूनी है। फार्मासिस्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रेस्क्रिप्शन कानून के तहत किया गया है कि नहीं।
अधिनियम 7.3 के मुताबिक, अगर डॉक्टर की प्रेस्क्रिप्शन पर एमसीआई अथवा राज्य मेडिकल काउंसिल का उसका रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं लिखा है तो यह 1.4.2 के नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।
एक डॉक्टर के लिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट एवं रेग्युलेशन का पालन करना अनिवार्य होता है। अगर कोई डॉक्टर अनुसूची ‘एच’ अथवा ‘एच1’ और एल की दवाएं और विष जनता को बेचता है जो उसका मरीज नहीं है, अथवा बिना दवा संबंधी जरूरत के स्टेरॉइड अथवा साइकोट्रॉपिक दवा बेचता है तो यह उपरोक्त अधिनियम का उल्लंघन माना जाएगा और यह फिजिशियन के लिए पेशेवर अनाचार के तहत आता है।