नई दिल्ली: उम्र के 20वें वर्ष में चल रहे युवा तेजी से गुर्दा संबंधित बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि बीमारी गैर-पौष्टिक भोजन, ध्रूमपान और मद्यपान से नहीं, बल्कि चिकित्सकों की सलाह के बगैर पूरक प्रोटीन आहार लेने से हो रही है।
डॉक्टरों के मुताबिक प्रोटीन की ज्यादा खुराक लेने से गुर्दे पर दुष्प्रभाव पड़ता है। अमूमन गुर्दे की बीमारियों की पहचान शुरुआत में नहीं हो पाती है। इसलिए किसी को बगैर उचित सलाह के अतिरिक्त प्रोटीन नहीं लेना चाहिए। लेकिन कई लोग इसकी अनदेखी करते हैं। नतीजतन गुर्दे की दीर्घकालिक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। नेफ्रोलॉजिस्ट सावधान करते हैं कि प्रोटीन पाउडर की ज्यादा मात्रा लम्बी अवधि तक लेने पर गुर्दे पर तनाव पड़ता है।
गुर्दा प्रोटीन का प्रसंसकरण करता है और उसे तोड़ना। इसका मतलब हुआ कि प्रोटीन की ज्यादा मात्रा लेने पर गुर्दे को ज्यादा काम करना पड़ता है। प्रोटीन की ज्यादा खुराक लेने पर गुर्दे में पत्थरी हो जाती है। वह बिल्कुल नाकाम भी हो सकता है।
जानकारों के मुताबिक युवाओं की 40 फीसदी आबादी उच्च रक्तचाप, मोटापा और मधुमेह की शिकार है। कई युवा ध्रूमपान करते हैं। इन सभी के गुर्दे में पत्थरी, संक्रमण और मधुमेह से जुड़ी बीमारियां का खतरा ज्यादा होता है। कई लोग सेहत बनाने के लिए बगैर उचित सलाह के पूरक प्रोटीन आहार लेना शुरू कर देते हैं। यह बाद में चलकर बेहद खतरनाक साबित होता है।
कई युवा पूरक प्रोटीन आहार के रूप में प्रोटीन शैक, प्रोटीन की गोली और एनाबोलिक स्टेरायड लेते हैं। यह काफी कम अवधि में उन्हें दोगुनी, छहगुनी शक्ति देता है। लेकिन इससे धीरे-धीरे गुर्दे के नाकाम होने की संभावना बढ़ती जाती है।
गुर्दे में 70 फीसदी तक की क्षति से व्यक्ति नपुंसक हो सकता है। गुर्दे की बीमारी की वजह से शरीर में विजातीय पदार्थ जमा होने लगते हैं। नतीजतन शुक्राणु की गुणवत्ता और उत्पादकता प्रभावित होती है। लेकिन जिन लोगों को गुर्दे संबंधी छोटी परेशानियां हैं, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। परेशानी उन लोगों को हो सकती है, जिनका गुर्दा 60 फीसदी से भी ज्यादा क्षतिग्रस्त हो चुका है। गुर्दे की बीमारी का मतलब यह नहीं है कि कोई पुरुष पिता नहीं बन सकता। गुर्दे के प्रत्यारोपण के बाद भी कई लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं।
मूत्र, रक्त और रक्तचाप के सामान्य जांच से गुर्दे संबंधी परेशानियों का शुरुआत में ही पता लगाया जा सकता है। युवाओं को उचित सलाह के बाद ही पूरक प्रोटीन लेना चाहिए।
राष्ट्रीय गुर्दा प्रतिष्ठान के एक आकलन के मुताबिक देश में दस लाख में से 100 लोग गुर्दे से जुड़ी बीमारियों से ग्रस्त हैं। भारत में सलाना 90,000 गुर्दा प्रत्यारोपण की दरकार है।