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 प्रात:काल में शुभ होती है देवी की आराधना | dharmpath.com

Monday , 25 November 2024

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प्रात:काल में शुभ होती है देवी की आराधना

maa durgaचैत्र और आश्विन नवरा‍त्रि ही मुख्य माने जाते हैं। इनमें भी देवी भक्त आश्विन नवरा‍त्रि अधिक करते हैं। इनको यथाक्रम वासंती और शारदीय कहते हैं। इनका आरंभ चैत्र और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को होता है, यह प्रतिपदा ‘सम्मुखी’ शुभ होती है। घटस्थापना प्रात:काल अभिजीत मुहूर्त में करें। स्मरण रहे कि देवी का आवाहन, प्रवेशन, नित्यार्चन और विसर्जन- यह सब प्रात:काल में शुभ होते हैं अत: उचित समय का अनुपयोग न होने दें।

स्त्री हो या पुरुष, सबको नवरा‍त्रि करना चाहिए। यदि कारणवश स्वयं न कर सकें तो प्रतिनिधि (पति, पत्नी, ज्येष्ठ पुत्र, सहोदर या ब्राह्मण) द्वारा कराएं।

नवरा‍त्रि नौ रात्रि पूर्ण होने से पूर्ण होता है इसलिए यदि इतना समय न मिले या सामर्थ्य न हो तो सात, पांच, तीन या एक दिन व्रत करें और व्रत में भी उपवास, अयाचित नक्त या एकभुक्त, जो बन सके यथा सामर्थ्य वही कर लें।

नवरा‍त्रि में घटस्थापन के बाद सूतक हो जाए तो कोई दोष नहीं, परंतु पहले हो जाए तो पूजनादि स्वयं न करें। चैत्र के नवरात्र में शक्ति की उपासना तो प्रसिद्ध है ही, साथ ही शक्तिधर की उपासना भी की जाती है।

उदाहरणार्थ एक ओर देवी भागवत, कालिका पुराण, मार्कण्डेय पुराण, नवार्ण मंत्र के पुरश्चरण और दुर्गा पाठ की शतसहस्रायुत चंडी आदि होते हैं तो दूसरी ओर श्रीमद्भागवत, अध्यात्म रामायण, वा‍ल्मीकि रामायण, तुलसीकृत रामायण, राममंत्र- पुरश्चरण, एक-तीन-पांच-सात दिन की या नौ दिन की अखंड रामनाम ध्वनि और रामलीला आदि ‍किए जाते हैं। यही कारण है कि यह ‘देवी-नवरा‍त्रि’ और ‘राम-नवरा‍त्रि’ नामों से प्रसिद्ध हैं।

प्रात:काल में शुभ होती है देवी की आराधना Reviewed by on . चैत्र और आश्विन नवरा‍त्रि ही मुख्य माने जाते हैं। इनमें भी देवी भक्त आश्विन नवरा‍त्रि अधिक करते हैं। इनको यथाक्रम वासंती और शारदीय कहते हैं। इनका आरंभ चैत्र और चैत्र और आश्विन नवरा‍त्रि ही मुख्य माने जाते हैं। इनमें भी देवी भक्त आश्विन नवरा‍त्रि अधिक करते हैं। इनको यथाक्रम वासंती और शारदीय कहते हैं। इनका आरंभ चैत्र और Rating:
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