नई दिल्ली, 25 अप्रैल (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न से संबंधित मामले में साजिश के आरोपों की जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ए.के. पटनायक को जांच का जिम्मा सौंपा।
न्यायालय ने इसके साथ ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और आईबी के निदेशकों व दिल्ली पुलिस आयुक्त से जरूरत पड़ने पर न्यायमूर्ति पटनायक को सहयोग करने के निर्देश दिए।
अदालत ने यह आदेश वकील उत्सव बैंस द्वारा दाखिल शपथपत्र पर दिया, जिन्होंने शीर्ष अदालत की पूर्व कर्मचारी की ओर से प्रधान न्यायाधीश पर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप के बाद प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ साजिश रचे जाने का आरोप लगाया है।
अदालत ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद न्यायमूर्ति पटनायक एक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल करेंगे।
अदालत ने साथ ही यह भी कहा कि पटनायक द्वारा रिपोर्ट दाखिल किए जाने के बाद मामले को सूचीबद्ध किया जाएगा।
पीठ ने यह भी कहा कि न्यायमूर्ति पटनायक की ओर से जांच से सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाही पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।
न्यायमर्ति पटनायक द्वारा जांच का आदेश देते हुए अदालत ने कहा कि बैंस को सभी दस्तावेजों का खुलासा करना होगा। इससे पहले, बैंस ने दावा किया था कि उनके पास संवेदनशील जानकारी है जिसका खुलासा नहीं किया जा सकता।
आदेश के बाद वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधान न्यायाधीश अब मास्टर ऑफ द रोस्टर नहीं रह सकते और जबतक उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच चल रही है, उनके प्रशासनिक और न्यायिक कार्य को निलंबित कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के सभी पूर्व कर्मचारी मामले में गवाह हैं और सवाल किया कि कैसे प्रधान न्यायाधीश उनके पूर्व बॉस होने के कारण इस स्थिति में अपने काम को जारी रख सकते हैं।
इससे पहले न्यायमूति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ की सुनवाई के दौरान जयसिंह ने कहा कि अदालत उत्सव बैंस की विश्वसनियता की भी जांच करें और कहा कि जो लोग अदालत आते हैं, उन्हें निश्चित ही नेकनीयती से आना चाहिए।
इंदिरा जयसिंह ने कहा कि पीठ यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे प्रधान न्यायाधीश के बचाव में दिए गए तर्को पर अपना काफी समय खपा रही है।
उन्होंने कहा कि जांच में इस तरह के प्रभाव से प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ अदालत की पूर्व कर्मचारी की शिकायत को हानि पहुंच सकती है।
पीठ ने उन्हें आश्वस्त किया कि जांच स्वतंत्र रूप से होंगी।
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने मामले में एसआईटी गठित करने की अनुशंसा की थी जबकि जयसिंह ने इसका विरोध किया और अदालत से मामले की न्यायिक जांच करने की मांग की।
सॉलिसीटर जनरल के मामले में एसआईटी गठन के सुझाव पर पीठ ने कहा कि हम जांच के इस परिप्रेक्ष्य के बारे में देख सकते हैं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इससे जांच में कोई पक्षपात नहीं होगा।
पीठ ने मेहता से कहा कि यह काफी गंभीर मामला है और हम इस मामले की तह तक पहुंचना चाहते हैं और मामला इतना गंभीर है कि हमलोग मामले के विवरण नहीं दे सकते।
पीठ ने पाया कि कुछ ‘फिक्सर’ जो प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला के रिश्तेदार होने का दावा कर रहे हैं, वे प्रधान न्यायाधीश को हटाने के लिए उत्सव बैंस के पास गए।
पीठ ने कहा, “हम इस व्यक्ति की पहचान नहीं जानते हैं..हमें सच का पता लगाने की जरूरत है।”
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कुछ अमीर और शक्तिशाली लोग न्यायालय के कामकाज को नियंत्रित करना चाहते हैं और कहा कि इन ‘फिक्सरों’ को अवश्य ही जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि ‘धनाढ्य लोग सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री चलाना चाह रहे हैं..यह बहुत गंभीर मामला है..अगर सच को बाहर लाया गया तो लोगों को मारा जा सकता है या उसे हानि पहुंचाई जा सकती है।’
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि यह जानने के बाद कि एक कथित नेटवर्क सर्वोच्च न्यायालय को अपने मतलब से चलाना चाहता है, ‘हम बहुत पीड़ा में हैं।’
उन्होंने यह भी कहा कि पीठ को यह पता चला है कि इन फिक्सरों का प्रतिनिधित्व प्राय: सर्वोच्च न्यायालय के शीर्ष वकील करते हैं।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “हम इस देश के अमीर और शक्तिशाली लोगों को कहना चाहते हैं कि वे सर्वोच्च न्यायालय नहीं चला सकते।”