मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई राज्य मंत्रि-परिषद की बैठक में प्रदेश में अधोसंरचना विकास को गति देने के लिये अहम फैसले हुए हैं। इनमें सड़क, बिजली, सिंचाई तथा नई तहसीलों के निर्माण और उनके लिये जरूरी अमले की मंजूरी जैसे निर्णय शामिल हैं।
सिंचाई परियोजनाओं को प्रशासकीय मंजूरी
मंत्रि-परिषद की बैठक में 340 करोड़ 62 लाख लागत की तीन नई सिंचाई परियोजनाओं को प्रशासकीय मंजूरी दी गई है। साथ ही 1130 करोड़ 50 लाख की लागत की तीन अन्य सिंचाई परियोजनाओं को पुनरीक्षित स्वीकृति दी गई है। जिन 3 नई सिंचाई परियोजनाओं को आज प्रशासकीय मंजूरी दी गई है, उनमें छिन्दवाड़ा जिले की मोहगाँव लघु सिंचाई परियोजना के लिये 83.33 करोड़, देवास जिले की दतूनी मध्यम सिंचाई परियोजना के लिये 174.55 करोड़ और छतरपुर जिले की तरपेड़ मध्यम सिंचाई परियोजना के लिये 82.74 करोड़ रुपये की मंजूरी शामिल है।
पुनरीक्षित स्वीकृति वाली परियोजनाओं में 64.17 करोड़ लागत की विदिशा जिले की बघर्रू मध्यम सिंचाई परियोजना, 590.75 करोड़ लागत की धार जिले की माही वृहद परियोजना और 475.58 करोड़ की बालाघाट जिले की राजीव सागर (बावनथड़ी) वृहद सिंचाई परियोजना शामिल है।
बीओटी योजना में तीन नये सड़क मार्गों का निर्माण
ओएमटी पद्धति से बुधनी-खातेगाँव मार्ग का होगा उन्नयन
बीओटी (टोल + एन्यूटी) योजना में मध्यप्रदेश रोड डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन के माध्यम से 208.62 किलोमीटर लम्बे सड़क मार्गों के निर्माण के लिये 473 करोड़ 71 लाख रुपये की मंजूरी मंत्रि-परिषद ने दी है। इनमें उज्जैन सिंहस्थ बायपास मार्ग, दमोह-कटनी मार्ग और टीकमगढ़ (धजरई)-जतारा-पलेरा-नौगाँव मार्ग शामिल हैं। इन मार्गों का निर्माण आगामी दो से ढाई वर्ष की अवधि में पूरा किया जायेगा। इसके अलावा ओएमटी योजना में बुधनी-रेहटी-नसरुल्लागंज-खातेगाँव मार्ग का उन्नयन करने का निर्णय लिया गया है। कुल 87.94 किलोमीटर लम्बे इस मार्ग के उन्नयन पर 5.5 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ की तैयारियों के सिलसिले में बीओटी (टोल + एन्यूटी) योजनांतर्गत 94.30 करोड़ लागत से 14.29 किलोमीटर लम्बे उज्जैन सिंहस्थ बायपास मार्ग के निर्माण के प्रस्ताव को राज्य मंत्रि-परिषद ने मंजूरी दी है। इसमें निजी निवेशकर्ता को टोल संग्रहण के अधिकार दिये जायेंगे तथा हर 6 माह में एन्यूटी की राशि का भुगतान भी किया जायेगा। यह देश में एक अभिनव योजना है। इस परियोजना में निर्माण अवधि सहित कन्सेशन अवधि 15 वर्ष है। एन्यूटी की राशि को निविदा का आधार रखा गया है। निजी निवेशकर्ता को सम्पूर्ण कन्सेशन अवधि में पूर्व निर्धारित मापदण्डों के अनुसार मार्ग का निर्माण करना होगा और उसके संधारण की जिम्मेदारी भी वहन करना होगी। इस पहल से एक उच्च कोटि का सड़क मार्ग दीर्घावधि तक आम लोगों को आवागमन सुविधाओं के लिये उपलब्ध होगा। इस मार्ग पर दूरी के अनुसार टोल दरें रहेंगी। इनसे दो पहिया, तीन पहिया तथा कृषि कार्य में उपयोग किये जाने वाले ट्रेक्टर-ट्राली तथा स्थानीय यातायात को टोल दरों से मुक्त रखा जायेगा। इसी योजना के आधार पर राजमार्ग क्रमांक-14 के अंतर्गत आने वाले दमोह-कटनी मार्ग के निर्माण का फैसला भी लिया गया है। करीब 117.93 किलोमीटर लम्बे इस मार्ग के निर्माण पर 272.07 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसी प्रकार टीकमगढ़ (धजरई)-जतारा-पलेरा-नौगाँव मुख्य जिला मार्ग का निर्माण भी बीओटी (टोल + एन्यूटी) योजना में कराया जायेगा। करीब 76.40 किलोमीटर लम्बे इस मार्ग के निर्माण पर 107.34 करोड़ रुपये व्यय होंगे।
प्रदेश में बनेंगी तीन नई तहसील
मंत्रि-परिषद ने आज प्रदेश में तीन नई तहसील बनाने का फैसला लिया है। इनमें पन्ना जिले में सिमरिया, सीधी जिले में बहरी और विदिशा जिले में पठारी शामिल हैं। प्रत्येक नई तहसील के लिये जरूरी अमले की व्यवस्था को भी मंजूरी दी गई। प्रत्येक नई तहसील में एक तहसीलदार, एक नायब तहसीलदार, 5 सहायक ग्रेड-3 और 6 भृत्य/प्रोसेस सर्वर के पद मंजूर किये गये हैं।
प्रदेश में दो नये पवित्र क्षेत्र घोषित करने का निर्णय आज लिया गया। इनमें नरसिंहपुर जिले के करेली तहसील के अंतर्गत राजस्व निरीक्षण मण्डल बरमान के अंतर्गत आने वाले छिड़ावा घाट (सीढ़ी घाट) स्थल, सतधारा घाट और दीपा का मंदिर क्षेत्र शामिल हैं। इसी तरह जबलपुर स्थित ग्वारीघाट को भी पवित्र क्षेत्र घोषित करने का निर्णय लिया गया है।
अन्य महत्वपूर्ण फैसले
मंत्रि-परिषद ने शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय भोपाल, ग्वालियर, उज्जैन एवं रीवा के लिये 10 प्रोफेसर, 4 व्याख्याता तथा 546 चिकित्सालयीन और अन्य गैर-शैक्षणिक पदों के सृजन की स्वीकृति भी प्रदान की।
मंत्रि-परिषद ने आज जल-संसाधन विभाग के अंतर्गत मध्यप्रदेश जल विनियमन अध्यादेश-2013 का अनुमोदन भी किया। इससे औद्योगिक इकाइयों द्वारा वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने तक की अवधि के लिये जल-कर व्यवस्था को सुचारु रूप से लागू किया जा सकेगा। प्रदेश में लघु जल विद्युत परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिये बनाई गई नीति-2011 में आवश्यक सुधारों का भी अनुमोदन किया गया। इन सुधारों से प्रदेश में स्थापित होने जा रही 150 मेगावॉट वाली 46 लघु जल विद्युत परियोजनाओं के विकास को गति मिलेगी और परियोजनाओं में निवेश हो सकेगा।
मंत्रि-परिषद ने राजीव गाँधी विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत अशोकनगर एवं गुना जिले में ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यों के लिये क्रमशः 85.12 करोड़ और 99.49 करोड़ की पुनरीक्षित योजनाओं को मंजूरी दी है। इन पुनरीक्षित योजनाओं के जरिये विद्युतविहीन 72 गाँव का विद्युतीकरण और 100 से अधिक आबादी वाले 1987 विद्युतीकृत गाँव के मजरो-टोलों और बसाहटों में बिजली पहुँचाई जायेगी। इस फैसले से गरीबी की रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले 39 हजार 426 गरीब परिवारों को निःशुल्क एक बत्ती कनेक्शन उपलब्ध करवाया जा सकेगा।
मंत्रि-परिषद ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर तथा राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के शिक्षकों की अधिवार्षिकी आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष किये जाने को भी मंजूरी दी है। इस फैसले से इन विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ एवं अनुभवी शिक्षक लाभान्वित हो सकेंगे। इसके अलावा मध्यप्रदेश लोक अभियोजन (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम-1991 में उप संचालक अभियोजन के पद पर पदोन्नति के लिये विभागीय भर्ती नियम में अर्हकारी सेवा में 5 वर्ष के अनुभव में वर्ष 2013 एवं 2014 के लिये 2 वर्ष की छूट दिये जाने का निर्णय लिया गया है।
मंत्रि-परिषद ने नगर पालिक निगम, जबलपुर को जेएनएनयूआरएम योजना के अंतर्गत इंट्रीग्रेटेड स्टार्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम स्थापित करने अंशदान की पूर्ति के लिये हुडको से लिये जाने वाले 97.95 करोड़ के ऋण के संबंध में शासकीय प्रत्याभूति प्रदान करने का निर्णय लिया। प्रदेश में केश शिल्पी कल्याण योजना-2013 लागू करने का निर्णय भी आज मंत्रि-परिषद ने लिया। इस योजना के जरिये प्रदेश में केश शिल्पियों के कौशल उन्नयन, सामाजिक सुरक्षा तथा केश शिल्पियों के रोजगार के लिये वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जायेगी।
मंत्रि-परिषद ने श्योपुर जिले की अपर ककेटो मध्यम सिंचाई परियोजना के विस्थापित परिवारों को अनुदान दिये जाने के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी है। इन विस्थापित परिवारों को घरेलू सामान, अनाज आदि के परिवहन के लिये प्रति परिवार 5000 रुपये और भू-खण्ड के एवज में 30 हजार रुपये का नगद अनुदान देने का कल्याणकारी निर्णय लिया गया।