भारत में प्रीमियर निजी अस्पताल में शुमार इंदौर का बाम्बे हास्पिटल प्रदूषण मानकों पर खरा नही उतरता हैं । यहाँ स्थापित डीजल जनरेटर सेट के धुयें से इलाज करा रहे मरीज और उनके परिजनों को खासा स्वास्थगत नुकसान उठाना पड सकता हैं । केंद्रीय प्रदूषण निवारण बोर्ड व्दारा तय मानकों को बाम्बे हास्पिटल इंदौर पूरा नहीं कर रहा हैं । हाँलाकि यह डीजल जनरेटर सेट सिर्फ विधुत आपूर्ति में बाधा आने के दौरान ही चालू किया जाता हैं , लेकिन तय मानकों पर खरा न उतरने के कारण गंभार समस्या खडी कर सकता हैं ।
सी.पी.सी बी( केंद्रीय प्रदूषण निवारण बोर्ड ) के मानकों के अनुसार स्थापित डीजल जेनसेट के लिए चिमनी की उँचाई भवन से 6 मीटर अधिक होना चाहिए । बाम्बे हास्पिटल प्रबंधको ने निर्बाध विधुत आपूर्ति के लिये 750 के . वी .ए के दो डीजल जनरेटर सेट लगाये गये हैं । नियमतः दो चिमनी बिल्डिंग हाईट 30 मीटर के अनुसार 36 मीटर की लगना चाहिये , लेकिन अस्पताल परिसर में स्थापित डीजल जनरेटर सेट के शेड पर मात्र जमीन की उँचाई से लगभग 18-20 फीट की चिमनी लगाकर कर्तव्य की इतिश्री कर ली ।
डीजल जनरेटर सेट प्रमाणन के लिये प्राधिकॄत अभिकरण ने नियमों के विपरीत जाकर स्थापित डीजल जनरेटर सेट को प्रमाणित कर दिया । वहीं मध्यप्रदेश प्रदूषण निवारण मंडल ने अपनी अनुमति और सहमति भी प्रदान कर दी ।
इस संबंध में जब बाम्बे हास्पिटल के जनरल मैनेजर राहुल पाराशर से चर्चा की तो उन्होने कहा कि हम केन्द्रीय प्रदूषण निवारण बोर्ड व्दारा तय किये गये नार्म्स का पालन कर रहे हैं और हमारे पास समस्त विभागों की अनुमतिया है ।
जब इस संबंध में मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडळ के क्षेत्रीय अधिकारी कांतिलाल चौधरी से बात की तो उन्होंने विभाग के वैज्ञानिक सुनील श्रीवास्तव से बात करने की सलाह दे डाली ।
इस पूरे मामले पर वैज्ञानिक सुनील श्रीवास्तव का कहना था कि हम चिमनी की हाईट नपवा लेते है । बाद में उन्होंने कहा कि अगर डीजल जनरेटर सेट किसी भवन के बेसमेंट में लगा हैं तो उसकी चिमनी की उँचाई भवन उपर होना चाहिये । लेकिन बाम्बे हास्पिटल में डीजल जनरेटर सेट एक शेड में लगाया गया हैं, इसलिए जरुरी नहीं है कि चिमनी भवन से उपर तक ले जाई जायें ।