नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)। उभरते असमिया फिल्मकार कंगकण डेका अपनी आंचलिक फिल्म ‘सीता’ को अब अन्य फिल्मोत्सव में भेजने की योजना बना रहे हैं। उनका मानना है कि फिल्मोत्सव जैसे मंच स्वतंत्र फिल्मकारों के लिए फायदेमंद हैं।
नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)। उभरते असमिया फिल्मकार कंगकण डेका अपनी आंचलिक फिल्म ‘सीता’ को अब अन्य फिल्मोत्सव में भेजने की योजना बना रहे हैं। उनका मानना है कि फिल्मोत्सव जैसे मंच स्वतंत्र फिल्मकारों के लिए फायदेमंद हैं।
कंगकण की ‘सीता’ 68वें कान्स अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उत्सव के ‘शॉर्ट फिल्म कॉर्नर’ खंड में दिखाई जा चुकी है।
प्रतिष्ठित कान्स फिल्मोत्सव 24 मई को संपन्न हुआ, जिसमें कंगकण (31) शामिल नहीं हो सके। लेकिन उन्हें खुशी है कि वहां उनकी फिल्म ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
कंगकण ने गुवाहाटी से एक टेलीफोनिक साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, “मैं जाने वाला था, लेकिन मुझे मेरा वीजा नहीं मिल पाया। मलेशिया के कुछ लोगों ने ‘सीता’ में रुचि दिखाई है।”
उन्होंने कहा, “मैं इसे विदेशों एवं भारत में और भी फिल्मोत्सवों में भेज रहा हूं। गोवा शॉर्ट फिल्म कार्निवाल जैसे और भी बहुत से नए भारतीय फिल्मोत्सव शुरू हुए हैं। ध्यान आकर्षित करने के लिए फिल्मोत्सव हमेशा ही फायदेमंद होते हैं, विशेषकर स्वतंत्र फिल्मकारों के लिए।”
पूर्व ड्रिलिंग इंजीनियर कंगकण का कहना है कि फिल्मोत्सव, फिल्म निर्माताओं के संपर्क में आने में मदद करते हैं, वरना उनसे संपर्क करना कठिन होता है।
कंगकण जी इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया आर्ट्स, मुंबई के पूर्व छात्र हैं। वह अब अपनी पहली फीचर फिल्म पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने ‘सीता’ 1,00,000 रुपये के बजट में बनाई। उन्होंने कहा, “मैं एक फीचर फिल्म की पटकथा पर काम कर रहा हूं। इसके लिए ढेर सारे पैसे की जरूरत है। मैं इसे खुद नहीं बना सकता। मैं इसे सिर्फ असमिया में बनाने की योजना बना रहा हूं।”
वह बॉलीवुड में कदम रखने के इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि यह एक ‘लंबी प्रकिया’ है।
कंगकण ने कहा, “आपको कुछ वर्षो तक बतौर सहायक निर्देशक काम करना पड़ता है, लेकिन मैं इसके खिलाफ हूं। मैं अच्छी फिल्में बनाना चाहता हूं, मसाला फिल्में नहीं।”
वह वृत्तचित्रों के जरिए भी कहानियां बयां करना चाहते हैं।
कंगकण ने कहा, “मैं अच्छी फिल्में-लघु फिल्में, वृत्तचित्र या फीचर फिल्म बनाना चाहता हूं। मैं फिल्म निर्माण के हर कतरे का स्वाद चखना चाहता हूं।”