नई दिल्ली/मुंबई, 2 अगस्त (आईएएनएस)। बेमौसमी बारिश और कम उत्पादन के कारण आसमान पर पहुंचा प्याज का भाव अक्टूबर तक बढ़ा रहेगा। व्यापारियों के मुताबिक, उसके बाद नया प्याज बाजार में आ जाने से कीमत कम हो सकती है।
शीष उद्योग संघ ने कहा कि गत कारोबारी वर्ष (2014-15) दो करोड़ टन प्याज उत्पादन का करीब 30-35 फीसदी हिस्सा फरवरी से अप्रैल के बीच हुई बेमौसमी बारिश के कारण बर्बाद हो गया।
नवी मुंबई में प्याज के थोक व्यापारी राजीव मनियार ने आईएएनएस से कहा, “अधिक नमी, मिट्टी की स्थिति खराब होने तथा अन्य कारणों से बर्बादी और बढ़ गई।”
इन कारणों से प्याज की कीमत थोक और खुदरा बाजारों में 50-60 फीसदी बढ़ गई है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने पाकिस्तान, चीन, मिस्र तथा अन्य देशों से करीब 10 हजार टन प्याज का आयात भी किया पर कीमत कम नहीं हुई है।
कीमत बढ़ने से रोकने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय ने प्याज का निर्यात रोकने के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य जून के 250 डॉलर प्रति टन से बढ़ाकर 425 डॉलर कर दिया है।
बेंगलुरू आलू और प्याज के थोक व्यापारी श्रीनिवास गौड़ा ने कहा, “प्याज आपूर्ति बढ़ाने के लिए भंडार बनाने में असफलता तथा निर्यात पर नियंत्रण लगाने में देरी होने से हर साल इन महीनों में प्याज की कीमत बढ़ जाती है।”
मनियार ने कहा, “मुंबई के थोक बाजार में कीमत 22 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 32 रुपये हो गई है। खुदरा बाजार में यह 42-45 रुपये हो गई है।”
भारत हालांकि चीन के बाद दुनिया में प्याज का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन देश में प्याज की उपज प्रति एकड़ 14 टन है, जाजे चीन में 22 टन, म्यांमार में 23 टन अैर तुर्की में 30 टन है।
उत्तर प्रदेश में प्याज की कीमत प्रति किलोग्राम 40 रुपये है, जो एक साल पहले 20 रुपये थी।
कनार्टक में यह गत एक महीने में 25-30 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 50-55 रुपये हो गई है।