नई दिल्ली – पिछले महीने लेबनान में हिजबुल्लाह लड़ाकों के पेजर में ब्लास्ट हुआ था, जिसका आरोप इजराइल पर लगा. इस घटना ने मिडिल ईस्ट में इजराइल के साथ जारी हिजबुल्लाह और ईरान के संघर्ष में तेल में घी डालने का काम किया. वहीं, अब ऐसे दावे किए जा रहे हैं कि पेजर जैसी पुरानी तकनीक को जब उड़ाया जा सकता है तो ईवीएम मशीन को क्यों नहीं हैक किया जा सकता. इन आरोपों पर बोलते हुए सीईसी राजीव कुमार ने कहा, ‘कुछ लोग तो यहां तक कह देते हैं कि पेजर को उड़ाया जा सकता है तो EVM हैक कैसे नहीं हो सकते हैं? ऐसे लोगों को समझना चाहिए कि पेजर कनेक्टेड होता है, जबकि ईवीएम कनेक्टेड नहीं होती.’
CEC राजीव कुमार ने आगे कहा, ‘पेजर बैटरी से जुड़ा होता है, लेकिन ईवीएम में कोई बैट्री नहीं होती. इसके अलावा चुनाव से पहले ईवीएम की पोलिंग एजेंट्स की मौजूदगी में इतने स्तरों पर जांच की जाती है कि उसमें गड़बड़ी का कोई चांस नहीं है. वोटिंग से 5-6 दिन पहले EVM की कमिशनिंग (सेटअप) होती है. इस दौरान उसमें बैटरी डाली जाती है और सिंबल पड़ते हैं. इसके बाद ईवीएम को सील किया जाता है, यहां तक कि बैटरी पर भी उम्मीदवार के एजेंट के दस्तखत होते हैं.’ सीईसी ने आगे बताया कि ईवीएम में मोबाइल जैसी बैटरी नहीं होती, ये सिंगर यूज बैटरी होती है. कमीशन के बाद ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है, उस पर डबल लॉक लगाया जाता है. साथ ही उस स्ट्रॉन्ग रूम की तीन लेयर की सिक्योरिटी होती है.