नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। पूर्व सेना प्रमुख जनरल के. वी. कृष्ण राव का शनिवार को यहां एक सैन्य अस्पताल (रिसर्च एंड रेफरल) में निधन हो गया। वह 92 साल के थे। एक आधिकारिक बयान में इसकी जानकारी दी गई।
जनरल कृष्ण राव भारतीय सेना में नौ अगस्त, 1942 को द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान शामिल हुए थे। उन्होंने इस लड़ाई के दौरान बर्मा (अब म्यांमार), नार्थ वेस्ट फंटियर और बलूचिस्तान में हिस्सा लिया था। वह 14वें सेना प्रमुख थे।
देश के विभाजन के बाद संयुक्त पंजाब में 1947 में हुई अशांति के दौरान उन्होंने राज्य के दोनों हिस्सों (पूर्वी, पश्चिमी पंजाब) में सेवाएं दी थी और जम्मू एवं कश्मीर में पाकिस्तान के खिलाफ 1947-48 में हुए युद्ध के दौरान भी उन्होंने अपनी भूमिका निभाई थी।
वह 1949-51 के दौरान राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के एक संस्थापक प्रशिक्षक थे।
उन्हें युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व, उत्कृत साहस, दृढ़ संकल्प और हिम्मत के लिए परम विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया था।
जनरल राव को 1978-79 में पदोन्नति देकर सेना का उपप्रमुख बनाया गया था। उन्हें जून 1981 में सेना प्रमुख बनाया गया। इस पद पर वह 1983 तक रहे। इसके अलावा वह चीफ ऑफ आर्मी कमेटी के चेयरमैन भी थे। यह पद मार्च 1982 से लेकर जुलाई 1983 तक तीनों सेनाओं का सबसे सर्वोच्च पद था।
जून 1984 से जुलाई 1989 तक जनरल राव नागालैंड, मणिपुर और त्रिपुरा के राज्यपाल रहे। उन्हें 1989-90 के दौरान जम्मू एवं कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया।
जब जम्मू एवं कश्मीर में छद्म युद्ध चरम पर था तो उन्हें एक बार फिर मार्च 1993 से मार्च 1998 तक वहां का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उन्होंने वहां शांति बहाली और लोकतंत्र स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई।
वह 1968-83 के दौरान महार रेजीमेंट के कर्नल रहे थे। उन्हें आंध्र और तेलुगू विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त थी। इसके अलावा उन्हें कानून में श्रीवेंकटेश्वर विश्वविद्यालय ने मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी थी।
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। पर्रिकर ने 1971 की लड़ाई में उनके योगदान को याद करते हुए कहा, “देश ने अपने एक सर्वोत्तम सेना नायक को खो दिया है। उनमें दूरदर्शिता थी, जिन्होंने 80 के दशक की शुरुआत में सेना के आधुनिकीकरण में अपनी अहम भूमिका निभाई। सैनिकों की एक पीढ़ी को प्रेरित किया। 1971 की लड़ाई में देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने के उनके योगदान को देश हमेशा याद रखेगा।”