अगरतला/सिलचर, 26 दिसम्बर (आईएएनएस)। उच्च मूल्य के नोटों को अमान्य घोषित करने और पुस्तकों के डिजिटलीकरण का भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में आयोजित पुस्तक मेलों पर मिलाजुला असर दिखा।
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला और असम के सिलचर में चल रहे पुस्तक मेले प्रकाशकों, पुस्तक प्रेमियों और विक्रेताओं के साथ-साथ लेखकों के लिए दो महत्वपूर्ण वार्षिक कार्यक्रम हैं।
इन मेलों में पूर्वोत्तर राज्यों और अन्य जगहों के अलावा बांग्लादेश, कोलकाता, दिल्ली के प्रकाशक और विक्रेता भाग लेते हैं।
त्रिपुरा प्रकाशक गिल्ड के अध्यक्ष देबानंद दाम ने आईएएनएस से कहा, “यहां चल रहे 12वें अगरतला पुस्तक मेले में पुस्तक की बिक्री पर नोटबंदी का असर नहीं हुआ है।”
उन्होंने कहा कि पिछले साल की तरह ही पुस्तक मेला में भीड़ अच्छी है और पुस्तकों की बिक्री भी संतोषजनक है।
त्रिपुरा प्रकाशक गिल्ड द्वारा आयोजित पुस्तक मेला में त्रिपुरा के अलावा बांग्लादेश, कोलकाता, दिल्ली और कई पूर्वोत्तर राज्यों के विक्रेताओं और प्रकाशकों के 46 स्टॉल लगाए गए हैं।
चार दशकों से प्रकाशन के कारोबार से जुड़े दाम ने कहा कि नोटबंदी और पुस्तकों के डिजिटलीकरण का मेला में पुस्तकों की बिक्री और खरीद पर असर नहीं हुआ है, लेकिन लोग धीरे-धीरे डिजिटल पुस्तकों और ऑनलाइन पुस्तक पढ़ने और खरीदने से परिचित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगले साल 11 फरवरी को त्रिपुरा सरकार द्वारा आयोजित होने वाले 35वें त्रिपुरा पुस्तक मेला पर भी इन दोनों का संभवत: असर नहीं पड़ेगा।
ठीक इसके विपरीत सिलचर पुस्तक मेला में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद किए जाने और पुस्तकों के डिजिटलीकरण का असर हुआ है।
एक पुस्तक विक्रेता गाबिंदा कंगशाबानिक ने कहा, “अन्य व्यापारों की तरह पुस्तक बिक्री पर उच्च मूल्य के पुराने नोटों को अचानक बंद किए जाने और पुस्तकों के डिजिटलीकरण दोनों का असर हुआ है।”
उन्होंने कहा कि युवाओं में पुस्तक पढ़ने को लेकर बढ़ती अरुचि निराशाजनक है।
उन्होंने कहा, “शाम में कुछ लोगों की भीड़ केवल सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लुत्फ उठाने के लिए जुटती है जिसका आयोजन पुस्तक मेला के मैदान में होता है।”
सिलचर पुस्तक मेला में सुनसान नजारा से पुस्तक विक्रेता उदास हो गए हैं।