नई दिल्ली, 16 जनवरी (आईएएनएस)। विश्व पुस्तक मेले में शनिवार को पुस्तक प्रेमियों की भारी भीड़ उमड़ी। बच्चे और उनके अभिभावक पूरे उत्साह के साथ अपनी पसंद की पुस्तकें देखते, पलटते और खरीदते नजर आए। रविवार मेले का आखिरी दिन है।
मेले में शनिवार को अनेक साहित्यिक गतिविधियों का आयोजन हुआ। बाल मंडप पर साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित बच्चों की तीन पुस्तकों का लोकार्पण हुआ जिनमें शामिल हैं – कन्नड़ पुस्तक, पापू वपू बने महात्मा का हिंदी अनुवाद, हरिकृष्ण देवसरे द्वारा संपादित पुस्तक, प्रतिनिधि बाल नाटक तथा प्रकाश मनु द्वारा लिखित खजाने वाली चिड़िया। इस अवसर पर शांतनु तामुली, प्रकाश मनु, संगीता सेठी तथा कुमार अनुपम भी उपस्थित थे।
बच्चों की लेखिका संगीता सेठी ने बच्चों के साथ बातचीत की और उन्हें आदिवासियों तथा उनसे जुड़ी परंपराओं की कहानी सुनाई। यहां शांतनु तामुली की पुस्तक राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्राप्त बच्चों की साहसिक कहानियां पर आधारित पठन-सत्र भी आयोजित किया गया। इस मंडप पर प्रथम बुक्स की पूनम द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी तथा बौद्ध मठों पर कहानी भी सुनाई गई।
लाल चौक पर आगा खां फाउंडेशन द्वारा दास्तानगोई कथावाचन सत्र का आयोजन किया गया। दास्तानगोई उर्दू भाषा में कथावाचन का एक अनोखा तरीका है जिसमें दो कथावाचक वाद्य-यंत्रों की सहायता से लय एवं ताल में कहानी सुनाते हैं।
ऑथर्स कॉर्नर, रिफ्लेक्शंस पर मनोरमा जफा द्वारा लिखित तथा दर्शन सिंह आशट द्वारा अनूदित पुस्तक मेहरू सोणा के पंजाबी अनुवाद का लोकार्पण हुआ। यह पुस्तक अंग्रेजी व हिंदी भाषाओं में भी प्रकाशित हो चुकी है।
आज थीम मंडप पर छत्तीसगढ़ की पंडवाणी लोकगाथा ने मेले में आने वालों को आकर्षित किया। पंडवाणी लोकगाथा पांडवों की कहानी को दर्शाती है। यहां चंद्रकांता एवं उनके समूह द्वारा लोकगाथा प्रस्तुति की गई। इसके पश्चात कौशल उपाध्याय एवं उनके समूह द्वारा गुजराती पांरपरिक लोक नृत्य, गरबा का प्रदर्शन भी हुआ।
आज मेले में अनेक पुस्तकों का लोकार्पण हुआ जिनमें शामिल हैं – पंकज के. सिंह द्वारा लिखित स्वच्छ भारत समृद्ध भारत, रिया शर्मा की अनजान राहें और पियरे अलैन बोद द्वारा लिखी नुसरत : द वॉयस ऑफ फेथ, गिरीश पंकज की जोड़ ताड़क, गीता पंडित की दहलीज के भीतर बाहर तथा देवेंद्र द्वारा लिखित अहिल्या शामिल रही।
प्रकाशक किताबवाले ने विश्व पुस्तक मेले में दो नई किताबें लांच की। इनमें प्रमिला वर्मा की ‘अक्सो मैं तुम’ और दिविक रमेश की ‘यादें महकी जब’ शामिल थीं। 12 कहानियों का संग्रह -‘अक्सो मैं तुम’ का अनावरण दो प्रख्यात लेखकों सूरज प्रकाश और प्रताप सहगल ने किया। अक्सो मैं तुम- की कहानियां लेखक के व्यक्तिगत अनुभव के इर्द गिर्द घूमती हैं। पुस्तक मनुष्य के दैनिक जीवन तथा उससे जुड़ी भावनाओं, दुविधाआंे और विसंगतियों को प्रकाश डालती है।
पुस्तक ‘यादें महकी जब’ का औपचारिक विमोचन प्रख्यात लेखक एवं महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति विभूति नारायण राय ने किया। यादें महकी जब- पुस्तक में पिछले सालों के दौरान लेखक के द्वारा लिखे गए विभिन्न लेखों के संस्करण शामिल हैं। तथा विभिन्न पृष्ठभूमियों से जुड़े लोगों की यात्रा अनुभवों का विवरण है।
हॉल सं. 18 में ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ जिसमें शामिल हैं – भारतीय सांस्कृति धरोहर पर आधारित पैनल चर्चा तथा कवि सम्मेलन। इस कार्यक्रम में डा. मदन मोहन गोयल, डा. वागेश्वर झा, सरोजिनी प्रीतम आदि ने भाग लिया। हॉल सं. 12 में शलभ प्रकाशन द्वारा गीत नवगीत गजल पर आधारित चर्चा का आयोजन भी हुआ।