अगरतला/आइजोल, 28 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मिजोरम के जनजाति समुदाय के शरणार्थियों के पुनर्वास मामले में त्रिपुरा तथा मिजोरम के अधिकारियों को 30 जनवरी को नई दिल्ली बुलाया है। इन शरणार्थियों ने बीते 17 सालों से उत्तरी त्रिपुरा में शरण ले रखी है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
त्रिपुरा के राहत एवं पुनर्वास विभाग के अतिरिक्त सचिव करनामानी दास ने आईएएनएस से कहा, “गृह मंत्रालय ने मिजोरम के जनजाति समुदाय के शरणार्थियों का पुनर्वास फिर से शुरू कराने के लिए 30 जनवरी को त्रिपुरा एवं मिजोरम के अधिकारियों को नई दिल्ली बुलाया है।”
दास ने कहा, “राज्य (त्रिपुरा) सरकार केंद्रीय गृह मंत्रालय तथा मिजोरम दोनों को ही जनजाति समुदाय के शरणार्थियों को पुनर्वास कराने के लिए कह रहा है। त्रिपुरा में शरणार्थियों के लंबे समय तक रहने के कारण एक गंभीर सामाजिक-आर्थिक समस्या पैदा हो गई है।”
केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इस बैठक में शामिल रहेंगे।
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र तथा मिजोरम व त्रिपुरा सरकारों को त्रिपुरा के शरणार्थी शिविरों में शरण लिए हुए जनजाति समुदायों को वापस मिजोरम भेजने का काम शुरू करने के लिए फॉर्मूला बनाने तथा उस पर विचार विमर्श के लिए चार महीने का समय दिया है।
अधिकारी ने कहा, “पूर्वोत्तर परिषद की दो जनवरी को हुई बैठक के दौरान मिजोरम के मुख्यमंत्री ललथनहावला ने प्रस्ताव दिया है कि ठोस प्रयास के बावजूद जो शरणार्थी मिजोरम लौटने को तैयार नहीं हैं, उन्हें स्थायी तौर पर त्रिपुरा में ही बसाया जाना चाहिए।”
अधिकारी ने मुख्यमंत्री के हवाले से कहा, “पिछली बार जब शरणार्थियों के पुनर्वास का प्रयास शुरू किया गया, तब बीते साल नवंबर तक केवल 6,647 शरणार्थी ही त्रिपुरा से मिजोरम लौटे।”
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 1997 में मिजोरम के वन अधिकारी की हत्या के बाद हुए जातीय संघर्षो के कारण पश्चिम मिजोरम के कई गांवों के लगभग 35 हजार लोगों ने अपने गांव को छोड़कर उत्तरी त्रिपुरा के छह शिविरों में शरण ली थी। जनजाति समुदाय के इन लोगों को स्थानीय तौर पर ‘ब्रू’ कहा जाता है।