लंदन, 29 मई (आईएएनएस)। मियादी बुखार के लिए जिम्मेदार जीवाणु संक्रमण को नियंत्रित कर भारत और पाकिस्तान में पित्ताशय कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। वैज्ञानिकों के एक दल ने यह जानकारी दी, इसमें एक भारतीय शोधकर्ता भी शामिल हैं।
इस निष्कर्ष से जीवाणु संक्रमण और पित्ताशय कैंसर के बीच संबंध का पता लगता है। इसमें यह भी बताया गया है कि क्यों इस तरह के कैंसर के मामले पश्चिमी देशों में मामूली है, लेकिन ये भारत और पाकिस्तान में आम हैं।
नीदरलैंड कैंसर संस्थान के शोधकर्ता जैकस नीफजेस ने कहा, “यदि मियादी जीवाणु के कारक सलमोनेला टाइफी संक्रमण का इलाज तुरंत कर लिया जाता है तो इससे ट्यूमर के मामलों में मकई आने की प्रबल उम्मीद है।”
नीफजेस ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सहकर्मी तिजियाना स्कानू और गोपाल नाथ ने इस बात का निरीक्षण किया कि किसी तरह से इस ट्यूमर का मुकाबला किया जा सकता है।
शुरुआती स्तर पर पित्ताशय कैंसर का पता लगाना बहुत मुश्किल है, क्योंकि इसके कोई लक्षण नहीं है और जब तक इसकी पहचान होती है तब तक मरीज को बचाने में बहुत देर हो जाती है।
नीफजेस ने कहा, “यदि मियादी बुखार को नियंत्रित कर लिया जाता है तो भारत और पाकिस्तान में पित्ताशय कैंसर को होने से रोका जा सकता है।”
यह शोध पत्रिका ‘सेल होस्ट एंड माइक्रोब’ में प्रकाशित हुआ।