पणजी, 31 अगस्त (आईएएनएस)। गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने सुभाष वेलिंगकर को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की राज्य इकाई के प्रमुख पद से हटाने पर बुधवार को अफसोस जताया।
मुख्यमंत्री ने पहले वेलिंगकर की बर्खास्तगी पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था, लेकिन जब एक स्वयंसेवक की हैसियत से उन पर राज्य के वरिष्ठ स्वयंसेवक को पद से हटाने पर टिप्पणी करने के लिए जोर डाला गया तो उन्होंने कहा, “एक स्वयंसेवक के तौर पर मैं यही कहूंगा कि यह नहीं होना चाहिए था।”
इससे पहले, आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने बताया था कि वेलिंगकर को गोवा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार केखिलाफ काम करने की वजह से बर्खास्त किया गया है।
आरएसएस ने कहा है, “सुभाष वेलिंगकर को गोवा सरकार के खिलाफ काम करने और नया राजनीतिक संगठन बनाने पर तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया गया है।”
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं पर्यावरण और वन मंत्री राजेंद्र अरलेकर ने कहा कि वेलिंगकर गोवा में भाजपा नेताओं के गुरु और आदर्श रहे हैं। लेकिन, यह पूछे जाने पर कि क्या वह राज्य आरएसएस प्रमुख की बर्खास्तगी से निराश हैं, उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
अरलेकर ने कहा, “देखिए, मैंने बार-बार कहा है कि आरएसएस एक ऐसा संगठन है जो अपने फैसले लेने के योग्य है। हमारे लिए वह एक (गुरु) हैं। (गोवा में) आरएसएस में कोई और गुरु नहीं हैं। वह हमारे आदर्श हैं।”
वेंलिगकर एक क्षेत्रीय भाषा मोर्चे का नेतृत्व कर रहे हैं। प्राथमिक स्कूलों में राज्य सरकार की शिक्षण की भाषा नीति की आलोचना करते रहे हैं। उनका दावा है कि सरकार कोंकणी और मराठी जैसी क्षेत्रीय भाषाओं के स्थान पर अंग्रेजी भाषा को बढ़ावा दे रही है।
वेंलिगकर ने पिछले दिनों कहा था कि मनोहर पर्रिकर और पारसेकर के नेतृत्व वाली राज्य की भाजपा सरकारों ने शिक्षा के माध्यम के मामले में लोगों के साथ धोखा किया है।
उन्होंने साथ ही चेतावनी भी दी थी कि भाजपा इसी कारण से 2017 का विधानसभा चुनाव हार सकती है।
वेंलिंगकर पर 20 अगस्त को राज्य की यात्रा पर आए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को काले झंडे दिखाने का आरोप भी लगा था।