मयंक प्रताप सिंह (दिल्ली )-ओडिशा में तूफान गुजर गया है लेकिन अब उफनती नदियां तबाही की दस्तक ले कर आई हैं। तूफान की वजह से नदियों का पानी बढ़ गया है और राज्य के कई इलाके में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। ओडिशा के 12 जिलों के 14 हजार 5 सौ 14 गांव तूफान और बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। उधर आंध्र प्रदेश में भी 1 लाख 34 हजार लोग अब भी राहत शिविरों में हैं। इन हालात में प्रशासन की चुनौती जगह-जगह फंसे लोगों को सही सलामत सुरक्षित इलाकों तक पहुंचाने की और राहत और बचाव तेज करनी की है। करीब 9 लाख लोगो को सुरक्षित बचा कर रिफ्यूजी कैंप में पहुंचा कर भले ही लोगो की जान बचा ली गई हो। लेकिन इससे हालात की भयावहता कम नहीं हो जाती है। गरीबों के मकान तबाह हो गए। पूजा के पंडाल ध्वस्त ध्वस्त हो गए। सड़कों पर जगह-जगह पेड़ बिजली सप्लाई ठप हो गई है। ये है महाचक्रवात पाइलीन का कहर। तूफान गुजरने के बाद तबाही के निशान ओडिसा और आंध्रप्रदेश के तटीय इलाकों में जगह-जगह बिखरे पड़े हैं। फिलहाल सबसे बड़ा खतरा तूफान के बाद पैदा हुए बाढ़ जैसे हालात के हैं। लेकिन तूफान के बाद अब नया खतरा सामने है।
खतरा है फसलों के नष्ट हो जाने के बाद फैलने वाली भूखमरी। गरीबी से पहले से ही त्रस्त ओडिशा के लिए ये आघात जानलेवा ना साबित हो। फिर बाढ़ का पानी कम होने के बाद फैलने वाली महामारी का भी खतरा अब राज्य और केंद्र सरकार के माथे पर बल लाने के लिए काफी है। चिल्का के पास गंगानगर की इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि तूफान के बाद नदी किस तरह से उफान पर है। प्रशासन ने तूफान के दौरान जान का नुकसान होने से तो बचा लिया है लेकिन अब चुनौती बाढ़ से निपटने की है। ओडिसा और आंध्रप्रदेश में तूफान और बाढ़ की वजह से बहुत से लोग बेघर-बार हो गए हैं, फिलहाल कितना नुकसान हुआ है, इसका सटीक अनुमान लगाना बहुत आसान नहीं है, लेकिन इतना तय है कि इस नुकसान से निपटने में काफी वक्त लगेगा, क्योंकि फिलहाल प्रशासन के सामने चुनौती बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम से कम करने की है।
तूफान के गुजर जाने के बाद ओडिसा में जगह-जगह बारिश हो रही है, भुवनेश्वर में भी बारिश की वजह से बाढ़ जैसे हालात हैं, जबकि कई जिलों में अहम नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। इन हालात के बीच। बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले जिले हैं। बालासोर, मयूरभंज, ज्रुापुर और भद्रक राज्य में बुधबलंगा, वैतरणी, और सुवर्णरेखा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बुधाबलंगा नदी बालासोर से हो कर बहती है जो गोबिंदपुर के पास खतरे के निशान 8.13 मीटर से कहीं ऊपर 9.24 मीटर की ऊंचाई पर बह रही है।
जलेश्वर के पास सुवर्णरेखा नदी भी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है। सुवर्णरेखा नदी के लिए खतरे का निशान 10.37 मीटर है, जबकि ये 11.7 मीटर की ऊंचाई पर बह रही है। बस्ता के पास जलाका नदी भी अपने खतरे के निशान के ऊपर 6.73 मीटर पर बह रही है। इन हालात में प्रभावित हुए लोगों को बचाना बड़ी चुनौती बन गई है। तूफान और उसके बाद बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए बड़े स्तर पर राहत कार्य शुरू किया गया है। जगह-जगह फंसे लोगों तक खाने के पैकेट पहुंचाने के लिए तीन हेलीकॉप्टर लगाए गए हैं, जो लगातार राहत सामाग्री गिरा रहे हैं। अनुमान है कि बाढ़ की व्रुाह से जगह-जगह करीब एक लाख लोग फंसे हो सकते हैं। हालांकि बाढ़ में फंसे करीब दो लाख लोगों को बाहर भी निकाला गया है।
ओडिसा ने केंद्र सरकार से राहत कार्य के लिए और मदद मांगी है। दूसरी तरफ एनडीएमए ने अब तक ओडिसा और आंध्रप्रदेश में 1000 किलोमीटर लंबी सड़क साफ कर दिया है, तूफान में गिर गए करीब 1200 पेड़ों को भी हटाया गया है, लेकिन अभी भी दूर-दराज वाले इलाके में राहत पहुंचाना चुनौती है। पुरी में मछुआरों की बस्ती पेटकाटा का भी यही हाल है। यहां करीब 20 से 25 हजार मछुआरे रहते हैं। तूफान के वक्त ये लोग घर छोड़ कर दूसरी जगह चले गए थे, लेकिन जब लौटे तो ज्यादातर के मकान टूट चुके थे। तूफान की तबाही ने इन लोगों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया है। इस इलाके के पक्के मकान भी लहरों का सामना नहीं कर सके।
कच्चे मकानों का तो नामोनिशान तक मिट गया है। मकान टूटने के साथ ही मछुआरों की जीविका के सारे साधन भी नष्ट हो चुके हैं। अपना सब कुछ गंवा चुके यहां के लोगों की पूरी उम्मीदें अब सरकार पर टिकी हैं। तूफान का सामना कर चुके इन बस्ती के लोगों के लिए फिर से जिंदगी को शुरू करना नई चुनौती है। और महंगाई के इस दौर में तिनका तिनका जोड़कर घर बसाना किसी बड़े तूफान का सामना करने से कम नहीं। हालांकि इसमें शक नहीं है कि तूफान से पहले की गई तैयारियों की व्रुाह से नुकसान का असर कम करने में बड़ी मदद मिली। मौसम विभाग की भविष्यवाणी के मुताबिक ही शनिवार की रात करीब 9 बजे पाइलीन गोपालपुर पहुंचा। तट से टकराते वक्त हवाएं 200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से जरूर चल रही थीं। भारी बारिश हो रही थी, और ओडिशा और आंध्रप्रदेश के तटीय इलाके में ब्रुिाली चले जाने से धुप्प अंधेरा हो गया था। जिन लोगों ने तूफान का वो खौफनाक चेहरा देखा उनके लिए उस मंजर को भुलाना आसान नहीं है।
तूफान अब गुजर चुका है, हालांकि आजाद भारत के सबसे बड़े बचाव अभियान की व्रुाह से वक्त रहते लाखों लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचा देने से जान का नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन इमारतों, सड़कों, पेड़-पौधे-खेत-खलिहान और बिजली की सप्लाई लाइन को हुआ नुकसान चारो तरफ देखा जा सकता है। तूफान से सबसे ज्यादा नुकसान गंजाम जिले में हुआ। प्रशासन के मुताबिक अकेले ओडिशा के एक करोड़ से ज्यादा लोग तूफान से प्रभावित हुए हैं। 12 जिलों के 14 हजार 5 सौ 14 गांव प्रभावित हुए हैं। 5 लाख हेक्टेयर की खड़ी फसल बर्बाद हो गई है, जिसकी कीमत 2400 करोड़ आंकी जा रही है। 2 लाख 34 हजार कच्चे पक्के मकान ध्वस्त या क्षतिग्रस्त हो गए हैं। आंध्र प्रदेश में खासा नुकसान हुआ। रविवार की रात श्रीकाकुलम जिले से तूफान में फंसे 80 लोगों को सही सलामत निकाल लिया गया। प्रदेश में 1 लाख 34 हजार लोग राहत शिविरों में हैं।
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