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पाठक नहीं हैं लेखकों के पास : रमेशचंद्र शाह (फोटो सहित)

नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। हिंदी के वरिष्ठ लेखक रेमशचंद्र शाह ने कहा कि आज के लेखक का दुर्भाग्य है कि उसके पास अब पाठक नहीं है। किसी भी साहित्य की परिभाषा बिना पाठकों के तय नहीं हो सकती। हम लेखकों को इस पर विचार करना चाहिए।

नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। हिंदी के वरिष्ठ लेखक रेमशचंद्र शाह ने कहा कि आज के लेखक का दुर्भाग्य है कि उसके पास अब पाठक नहीं है। किसी भी साहित्य की परिभाषा बिना पाठकों के तय नहीं हो सकती। हम लेखकों को इस पर विचार करना चाहिए।

साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित साहित्योत्सव 2015 के तीसरे दिन बुधवार को अपनी रचना प्रक्रिया पर बात करते हुए शाह ने अपने लेखकीय मित्रों और विशेषकर अशोक सेक्सरिया को याद करते हुए कहा कि ऐसे सजग, पाठक और मित्र ही अच्छे साहित्य के आधार होते हैं।

हिन्दी के लिए पुरस्कृत रमेशचंद्र शाह ने प्रयाग शुक्ल से अपनी रचना-प्रक्रिया के बारे मंे बताते हुए कहा कि अपने अंतर्मन को अभिव्यक्त करने के लिए ही मैंने अलग-अलग विधाएं चुनी हैं। प्रकृति और एकांत ने जहां मुझे कविता लिखने को प्रेरित किया तो बाजार के बीच रहते हुए मैंने मानव के विभिन्न चरित्रों को समझा और उसको अपनी कहानी- उपन्यासों द्वारा व्यक्त किया।

आत्मकथा लिखने संबंधी प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि लेखक अपने लेखन में अपना आत्म ही उड़ेलता है और अगर उसे पाठक पसंद कर रहे हैं तो संभवता उसे आत्मकथा लिखने की कोई जरूरत नहीं है।

विनायक उपन्यास के बारे में शाह ने बताया कि इस उपन्यास को लिखने का कारण उनके पाठकों की वे दो चिट्ठियां हैं, जिनमें उन्होंने जानना चाहा था कि उनके पहले उपन्यास गोबर गणेश का नायक, जिसकी उम्र उस समय 27 वर्ष थी, वो आज के समय में किस तरह जीवन व्यतीत कर रहा है।

साहित्योत्सव 2015 के तीसरे दिन सम्मानित लेखकों से प्रख्यात लेखकों/विद्वानों से बातचीत के कार्यक्रम आमने-सामने के अंतर्गत आज पांच लेखकों ने अपनी रचना-प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया।

जयंत विष्णु नारलीकर ने विकास खोले के साथ बातचीत में कहा कि नेहरू ने जिस वैज्ञानिक समाज का सपना देखा था वो अभी तक अधूरा है और कई मामलों में हम और ज्यादा अंधविश्वासी हुए हैं। भगवान और धर्म के अस्तित्व को लेकर किए गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विज्ञान इसका जवाब हां या ना में नहीं दे सकता। विज्ञान किसी भी विचार को तभी मानता है जब वह उसके परिक्षण पर खरा उतरता है। यह प्रक्रिया बहुत लंबी है। वैसे भी विज्ञान में हम जैसे-जैसे समझते जाते हैं हमें लगने लगता है कि हमारी समझ और कम होती जा रही है।

असमिया लेखिका अरूपा पतंगीया कलिता से प्रदीप आचार्य ने बातचीत की। अरूपा जी ने कहा कि वह असम के प्राचीनतम इतिहास से लेकर स्वतंत्रता संग्राम तक के आंदोलन के इतिहास से बेहद प्रभावित हैं और अपनी रचनाओं में इसका प्रयोग भी करती है। ‘जुबान’ नाम के अपने उपन्यास की चर्चा करते हुए कहा कि इसके लिए मैंने स्वतंत्रता संग्राम के समय की पृष्ठभूमि का चयन किया और उस दौरान महिलाओं और बच्चों द्वारा उठाई गई मुश्किलों का जिक्र किया है।

पंजाबी लेखक जसविंदर का परिचय देते हुए उनसे बात कर रही वनीता ने कहा कि गजल विधा के लिए अकादेमी पुरस्कार पानेवाले दूसरे गजलकार हैं। इनकी गजलों में पारंपरिक गजल में अलग हटकर सामाजिक सरोकारों, विशेषकर पंजाबी परिवेश की शब्दावली और मुहावरे की सटीक अभिव्यक्ति मिलती है।

तेलुगु लेखक राचपालेम चंद्रशेखर रेड्डी ने जे.एल. रेड्डी के साथ अपनी बातचीत में कहा कि अच्छे साहित्य के लिए अच्छी आलोचना का भी होना बहुत जरूरी है। हालांकि यह मुश्किल काम है लेकिन ये साहित्य की उत्कृष्टा के लिए अनिवार्य भी है। उन्होंने कहा कि कहा कि आज के समाज में बुक कल्चर घट रहा है और लुक कल्चर बढ़ रहा है। हमें इसमें संतुलन लाने की जरूरत है।

एक अन्य कार्यक्रम ‘युवा साहिती’ में 24 भारतीय भाषाओं के युवा रचनाकारों ने अपनी कहानी और कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का उद्घाटन प्रख्यात हिन्दी लेखक गिरिराज किशोर ने किया और इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि चित्रा मुदगल थी। अन्य सत्रों की अध्यक्षता मैनेजर पांडेय, अब्दुल बिस्मिल्लाह, विष्णु नागर ने की।

पाठक नहीं हैं लेखकों के पास : रमेशचंद्र शाह (फोटो सहित) Reviewed by on . नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। हिंदी के वरिष्ठ लेखक रेमशचंद्र शाह ने कहा कि आज के लेखक का दुर्भाग्य है कि उसके पास अब पाठक नहीं है। किसी भी साहित्य की परिभाषा ब नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। हिंदी के वरिष्ठ लेखक रेमशचंद्र शाह ने कहा कि आज के लेखक का दुर्भाग्य है कि उसके पास अब पाठक नहीं है। किसी भी साहित्य की परिभाषा ब Rating:
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