इस्लामाबाद, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने दो हिंदू बहनों के कथित अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और विवाह के मामले में एक पांच सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट के आधार पर दोनों लड़कियों को उनके पतियों के साथ रहने की इजाजत दे दी।
रीना और रवीना नाम की इन लड़कियों और इनके पति सफदर अली और बरकत अली ने इससे पहले याचिका दायर कर संरक्षण की मांग की थी।
लड़कियों ने अपनी याचिका में कहा कि उनका जन्म सिंध के घोटकी में एक हिंदू परिवार में हुआ लेकिन ‘इस्लाम की शिक्षा से प्रभावित होकर’ उन्होंने अपना धर्म बदल लिया।
दोनों बहनों ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि उन्होंने इस बारे में अपने परिवार को ‘जीवन के खतरे के कारण’ जानकारी नहीं दी। उन्होंने स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन किया और शादी की।
यह मामला तब सामने आया जब इन दोनों बहनों के पिता और भाई ने एक वीडियो शेयर कर कहा कि इनका अपहरण किया गया है और इनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया है। पिता ने यह भी कहा कि दोनों बहनों की उम्र महज 13 और 14 साल है।
इसके बाद एक और वीडियो सामने आया जिसमें दोनों लड़कियों को यह कहते देखा गया कि उन्होंने स्वेच्छा से इस्लाम कबूल किया है।
इस आशय की रिपोर्ट आईं कि लड़कियों को सिंध के घोटकी से पंजाब प्रांत के रहीम यार खान ले जाया गया है।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत में सुनवाई के दौरान गृह सचिव ने बताया कि आयोग की सदस्यों मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी और नेशनल कमीशन आन द स्टेटस आफ वुमेन चेयरपर्सन खावर मुमताज ने लड़कियों और उनके पतियों से अलग-अलग बात की।
मुमताज ने कहा, “लड़कियों ने अपने प्रेमियों से शादी करने के लिए स्वेच्छा से इस्लाम कबूला है।”
गृह सचिव ने कहा, “यह जबरन धर्म परिवर्तन का मामला नहीं लग रहा है। ऐसा लगता है कि यह उस इलाके की संस्कृति बन गया है। मेडिकल टेस्ट में प्रमाणित हुआ है कि लड़कियां बालिग हैं और इनकी उम्र 18 और 19 साल है।”
विवाद के सामने आने के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने सिंध और पंजाब की सरकारों से मामले की जांच करने और अगर जबरन धर्म परिवर्तन की बात सही हो तो लड़कियों को तलाशने का आदेश दिया था।