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पाकिस्तान से बाल अपराधी को मृत्युदंड न देने का आग्रह

न्यूयार्क, 15 मार्च (आईएएनएस)। ह्यूमन राइट्स वॉच ने रविवार को पाकिस्तान सरकार से आग्रह किया है कि उस बाल अपराधी की मौत की सजा पर तत्काल रोक लगा दी जाए, जिसे 19 मार्च को मृत्युदंड दिया जाना है और साथ ही उसकी सजा समाप्त कर दी जाए।

कराची की एक आतंकवाद रोधी अदालत ने बीते 12 मार्च को शफकत हुसैन को मृत्युदंड देने की मंजूरी दे दी थी, जिसकी उम्र कथित रूप से 14-15 साल के बीच बताई गई है। हुसैन को 2004 में एक सात साल के बच्चे का अपहरण कर उसकी हत्या करने का दोषी पाया गया और उसे मृत्युदंड सुनाया गया था।

न्यायालय ने इन आरोपों के बावजूद हुसैन के मृत्युदंड को मंजूरी दे दी कि सिंध प्रांत के सुरक्षा बलों ने हुसैन को अपराध कबूल करने के लिए दबाव डाला और प्रताड़ित किया था।

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है, “बाल अपराधियों को मृत्युदंड देना अंतर्राष्ट्रीय कानून और बुनियादी शिष्टाचार का एक बर्बर उल्लंघन है। किसी बच्चे के कथित अपराध के लिए उसे फांसी की सजा देना यह दर्शाता है कि पाकिस्तान सरकार बाल अधिकारों की उपेक्षा करती है।”

पाकिस्तान सरकार ने 16 दिसंबर, 2014 की आतंकवादी घटना के बाद देश में मृत्युदंड पर रोक हटा लिया था। यह फैसला पाकिस्तान तालिबान से जुड़े आतंकवादी संगठन तहरीक ए-तालिबान द्वारा पेशावर के एक सैन्य स्कूल पर किए गए हमले के बाद किया गया था। इस हमले में 148 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर बच्चे शामिल थे।

प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के इस फैसले के बाद आतंकवादी मामलों के 20 से ज्यादा दोषियों को मृत्युदंड दिया जा चुका है।

आंतरिक मंत्रालय के अधिकारियों ने 10 मार्च को इस बात की पुष्टि की थी कि पाकिस्तान ने सभी प्रकार के अपराधियों के लिए मृत्युदंड पर जारी रोक हटा ली है और प्रांतीय सरकारों को कानून के मुताबिक मृत्युदंड को मंजूरी देने का निर्देश दिया है।

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