इस्लामाबाद, 18 जुलाई (आईएएनएस)| पाकिस्तान में पत्रकारों का जीवन सबसे जोखिम भरा है। पत्रकारों के लिए इस देश को सबसे खतरनाक देशों में से एक बताया गया है, खासकर तब, जब से यहां आतंकवादी समूहों की तादाद में बढ़ोतरी की शुरुआत हुई है। एक प्रमुख दैनिक ने शनिवार को यह जानकारी दी। दैनिक डान के एक संपादकीय लेख ‘वायलेंस अगेंस्ट जर्नलिस्ट्स’ के मुताबिक, “पाकिस्तान में पत्रकारों का जीवन प्राय: खतरे से घिरा होता है और ये खतरे तब और बढ़ जाते हैं, जब वे छोटे कस्बे या सुदूरवर्ती इलाकों में रिपोर्टिग करते हैं।”
दादू जिले में चार पत्रकारों पर हमले व दोषियों को पकड़ने में पुलिस की ढिलाई के विरोध में बुधवार को भारी संख्या में पत्रकार सिंधु राजमार्ग पर धरने पर बैठे।
दैनिक के मुताबिक, जिला संवाददाताओं को उन जगहों में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जहां भ्रष्ट पुलिस के सहयोग से शक्तिशाली राजनीतिज्ञों का सामंती साम्राज्य होता है और वे उनपर हाथ डालने को बिल्कुल अनिच्छुक होते हैं।
लेख के मुताबिक, बड़े मीडिया समूह के लिए काम न करने वाले बाहरी संवाददाताओं को बेहद कम तनख्वाह मिलती है या बिल्कुल नहीं मिलती। ऐसी पस्थिति में जब किसी स्थानीय दबाव समूह के साथ उनकी ठनती है, तो उनका संगठन उनकी कोई मदद नहीं करता, जिसके कारण आचार संहिता की समस्या उत्पन्न होती है।
लेख में देश को पत्रकारों के काम करने के लिए सबसे खतरनाक देशों में से एक बताया गया है, खासकर जब से यहां आतंकवादी समूहों ने फलना-फूलना शुरू किया है। वर्तमान में बलूचिस्तान प्रांत सबसे खतरनाक जगहों में से एक है।
इस प्रांत में बीते पांच साल में 30 से अधिक पत्रकारों की हत्या हो चुकी है, जहां हर प्रकार के खतरों से उनका सामना होता है। आपस में झगड़ते कबीले, धार्मिक अतिवाद, विद्रोही समूह तथा सुरक्षा बल सभी अपने एजेंडे के लिए यहां मीडिया का इस्तेमाल करना चाहते हैं और इस कड़ी में कभी-कभी वे उनकी जान तक ले लेते हैं।
लेख में कहा गया है कि इन सभी हत्याओं में केवल पाकिस्तानी पत्रकार वली खान बाबर की हत्या के मामले में सफलतापूर्वक मुकदमा चलाया गया है।