नई दिल्ली, 11 जनवरी (आईएएनएस)| पाकिस्तान में साहित्य की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। वहां अंग्रेजी भाषा के प्रकाशक बहुत कम हैं और आधारभूत संरचना भी विकसित नहीं हुई है। यह कहना है लेखक बिलाल तनवीर का, जो यह भी मानते हैं कि उर्दू भाषा के कुछ प्रकाशन बढ़िया काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें मदद की जरूरत है।
तनवीर की किताब ‘द स्कैटर हीयर इज टू ग्रेट’ को दक्षिण एशियाई साहित्य 2015 में डीएससी पुरस्कार के लिए चुना गया है, जिसके विजेताओं के नाम की घोषणा 22 जनवरी को जयपुर साहित्य महोत्सव के दौरान की जाएगी।
तनवीर ने एक ई-मेल साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, “उर्दू भाषा में किताब प्रकाशन की गुणवत्ता अंग्रेजी भाषा से कहीं बेहतर है। मुझे नहीं लगता कि अंग्रेजी भाषा का कोई भी प्रकाशक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का है।”
पाकिस्तान में लेखन के पेशे से जीविकोपार्जन के विकल्प पर सवाल पूछे जाने पर तनवीर ने बताया, “निर्भर करता है कि आप किस तरह के लेखक हैं। यदि आप टेलीविजन के लिए लिखते हैं, तो हां आप अच्छा कमा सकते हैं.. लेकिन साहित्य के लेखकों को जीविकोपार्जन के लिए दूसरे काम भी करने पड़ते हैं। अपवाद स्वरूप कुछ जगहों पर लेखक के पास पर्याप्त अर्थिक मदद का जरिया होता है, पर यह अपवाद ही है।”
तनवीर के साथ-साथ दक्षिण एशियाई साहित्य 2015 में पुरस्कृत किए जाने वाले लेखकों में पुलित्जर पुरस्कार विजेता झुंपा लाहिड़ी (द लोलैंड), लंदन में रहने वाली पाकिस्तानी लेखिका कामिला शम्सी (ए गॉड इन एवरी स्टोन), लंदन में रहने वाले श्रीलंकाई लेखक रोमेश गुनसेकरा (नूनटाइड टोल) और भारतीय लेखक शमसुर रहमान फारूकी (द मिरर ऑफ ब्यूटी) को भी 50,000 डॉलर पुरस्कार स्वरूप दिए जाएंगे।
दक्षिण एशियाई साहित्य पुस्कार दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लेखन और उनके अंग्रेजी अनुवाद के लिए चयनित लेखकों को दिया जाता है। दक्षिण एशियाई साहित्य का यह पांचवा संस्करण है।
इससे पहले दक्षिण एशियाई साहित्य पुरस्कार कराची के उपन्यासकार एच. एम. नकवी (होम ब्वॉय), श्रीलंकाई लेखक शेहन करुणातिलका (चाइनामैन) और भारत के जीत थायिल (नारकोपोलिस) एवं साइरस मिस्त्री (क्रॉनिकल ऑफ ए कॉर्पस बियरर) को दिया गया था।