संयुक्त राष्ट्र, 22 जून (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि महमूद सैकल ने यहां मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान को आतंकियों से लड़ने के लिए परमाणु करार या एफ-16 विमानों की नहीं, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और ईमानदार पुलिस कार्रवाई की जरूरत है। उन्होंने आरोप लगाया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आदेश का उल्लंघन करते हुए पाकिस्तान में सरकारी संस्थाएं आतंकियों के नेटवर्क को बढ़वा दे रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र, 22 जून (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि महमूद सैकल ने यहां मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान को आतंकियों से लड़ने के लिए परमाणु करार या एफ-16 विमानों की नहीं, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और ईमानदार पुलिस कार्रवाई की जरूरत है। उन्होंने आरोप लगाया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आदेश का उल्लंघन करते हुए पाकिस्तान में सरकारी संस्थाएं आतंकियों के नेटवर्क को बढ़वा दे रही हैं।
अपने देश की स्थिति पर सुरक्षा परिषद की बहस में भाग लेते हुए उन्होंने पाकिस्तान द्वारा तोर्खाम में हाल में निर्मित एक सीमा चौकी का मुद्दा उठाया। अफगानिस्तान का कहना है कि यह उसकी सीमा क्षेत्र में घुसपैठ है। इसके साथ ही अफगानिस्तान के नांगारहार, खोस्त, पाक्तिका, कुनार और नूरिस्तान जैसे पूर्वी प्रांतों में गोलाबारी का मुद्दा उठाया।
दोनों पड़ोसी देशों के बीच खराब होते रिश्तों के बीच उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा, “ऐसी कोई गलती नहीं करे। अफगानिस्तान सरकार और यहां की स्वाभिमानी जनता ने धमकी, हिंसा और आक्रमण के समक्ष न तो आत्मसमर्पण किया था, न किया है और न ही करेगी। हमारा इतिहास इसका साक्षी है।”
अफगानिस्तान के राजनयिक ने व्यापक अंतर्राष्ट्रीय खतरों की चर्चा करते हुए कहा कि बहुत सारे अंतर्राष्ट्रीय आतंकी गुट अफगानिस्तान को मध्य एशिया, दक्षिण एशिया, पश्चिम एशिया और दूर पूरब के खिलाफ अड्डे के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, “और, दूसरे क्षेत्रीय आतंकी नेटवर्क जिनका संबंध सेंट्रल एशियन रिपब्लिक्स, चेचन्या और चीन से है, वे हमारे क्षेत्र में बहुत अधिक सक्रिय हैं।” उन्होंने रूस, चीन और पाकिस्तान को इंगित करते हुए यह अपील की।
सैकल ने कहा, “इस्लामिक स्टेट (आईएस)और अलकायदा अफगानिस्तान में हाल के अफगानिस्तानी सुरक्षा बलों के हाथों बड़े झटके खाने के बावजूद फिर से उभरना चाह रहे हैं। तहरीक-ए-तालिबान अन्य आतंकी गुटों के साथ तालमेल करके हमारे क्षेत्र की सुरक्षा एवं स्थिरता के लिए लंबे समय से खतरा बना हुआ है।”
पिछले माह अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए तालिबान के नेता मुल्ला अख्तर मंसूर पर अफगानिस्तानी राजनयिक ने कहा कि उस घटना ने इसका खुलासा कर दिया कि फर्जी नाम के साथ जारी पाकिस्तानी पासपोर्ट की वजह से मंसूर दूसरे देशों में जाने में सक्षम था।
सैकल ने कहा कि पिछले 15 सालों में अलकायदा के ओसामा बिन लादेन, तालिबान के मुल्ला उमर और मुल्ला अख्तर मंसूर जैसे बहुत सारे आतंकी नेता पाकिस्तान में रहे और मरे।
सकारात्मक पक्ष की चर्चा करते हुए सैकाल ने हेरात में सलमा बांध के उद्घाटन और चाबहार बंदरगाह को लेकर अफगानिस्तान, भारत और ईरान के बीच व्यापार मार्ग पर करार पर हस्ताक्षर का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि हम लोगों ने नए व्यापारिक मार्ग से कृषि उत्पादों का निर्यात भी शुरू कर दिया है।