इस्लामाबाद, 21 दिसंबर –पाकिस्तान को अपने दुश्मनों के खिलाफ तालिबान और अन्य आतंकवादी संगठनों का इस्तेमाल करने की नीति को छोड़ना होगा और अपनी शिक्षा नीति में बदलावों को शामिल करना होगा। यह बातें एक पाकिस्तानी विशेषज्ञ ने कही है। शिक्षा और विकास के क्षेत्र में काम करने वाली एक नागरिक संस्था के प्रमुख जुबैर तोरवाली ने रविवार को डेली टाइम्स से कहा, “जिहादी संगठनों और तालिबान के उपयोग की लंबे समय से चली आ रही पाकिस्तान सरकार नीति से क्षण भर के विचलन से कोई फायदा नहीं होगा।”
उन्होंने कहा, “सुरक्षा नीति में बदलाव के बिना त्वरित कार्रवाई का भी कोई फायदा नहीं होगा।”
जुबैर के मुताबिक, “जब तक पाकिस्तान के सुरक्षा तंत्र में बदलाव नहीं होते, हम अपने बच्चों, महिलाओं, सैनिकों और आम जनता के लिए विलाप करते रहेंगे।”
यह बयान पाकिस्तान के पेशावर में मंगलवार को तहरीक-ए-तालिबान के आतंकवादियों द्वारा एक सैनिक स्कूल पर हमले के बाद आया है। इस हमले में 140 से अधिक बच्चों और अध्यापकों की मौत हो गई थी।
जुबैर ने कहा कि पाकिस्तान के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाने वाला पाठ्यक्रम न केवल आतंकवाद और धार्मिक संकीर्णता सिखाता है बल्कि पाकिस्तानियों को दानव बना रहा है।
समाचार पत्र ‘डेली टाइम्स’ ने उनके बयान के हवाले से लिखा, “अगर हम वास्तव में आतंकवाद का अंत चाहते हैं, तो हमें अपने पाठ्यक्रम में बदलाव करने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीति के लिए धर्म के इस्तेमाल पर रोक लगाने की सख्त जरूरत है।