नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। इन दिनों इंडिया आर्ट फेयर में पाकिस्तानी कलाकारों की कृतियां बरबस ध्यान आकृष्ट कर रही हैं। अपने भारतीय समरूपों के साथ जो वे साझा करते हैं उनमें और जिस संकट से उनका देश स्थायी रूप से जूझ रहा है उसपर उनकी व्यंग्योक्ति में ढेर सारी समानताएं दिखती हैं।
नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। इन दिनों इंडिया आर्ट फेयर में पाकिस्तानी कलाकारों की कृतियां बरबस ध्यान आकृष्ट कर रही हैं। अपने भारतीय समरूपों के साथ जो वे साझा करते हैं उनमें और जिस संकट से उनका देश स्थायी रूप से जूझ रहा है उसपर उनकी व्यंग्योक्ति में ढेर सारी समानताएं दिखती हैं।
इंडिया आर्ट फेयर का समापन रविवार को होगा।
‘आर्ट चौक’ गैलरी की मालकिन कैमिला एच. चौधरी के मुताबिक भारत ने हमेशा समकालीन पाकिस्तानी कला का स्वागत किया है और कलाकार समुदाय को टिके रहने के लिए अत्यंत अनिवार्य सहयोग पेश किया है।
फेयर में पांच कलाकारों की कृतियां लाने वाली चौधरी ने आईएएनएस कहा, “भारतीय बाजार अत्यंत गतिशील है और यह पड़ोसी देशों के कलाकारों के लिए खुला है और हमेशा उसका स्वागत करता है।”
वर्ष 2013 के फेयर में भी कराची स्थित गैलरी के मालिक ने भाग लिया था और संचयकर्ताओं द्वारा व्यापक कृतियां लाई गई थी। इस बार पाकिस्तान के पांच कलाकारों की कृतियां लाई गई हैं। इन कलाकारों ने अभिव्यक्ति के विभिन्न माध्यमों का प्रयोग किया है।
कलाकार सादिया जमाल की ‘परवाज बारा-ए-फरोख्त’ ने ‘पंख’ तैयार करने के लिए सर्जरी के ब्लेडों और तार की जाली का इस्तेमाल किया है। यह कृति आज के जटिल समय को प्रतिध्वनित करती है।
इसी तरह आतिफ खान की ‘लॉस्ट गार्डन’ कृति औपनैवेशिक ध्वंसावशेष पर राजनीतिक आश्रितता और आधुनिक पाकिस्तानी समाज पर उसकी जटिलता को प्रदर्शित करती है।
कराची में रहने वाले कलाकार मुहम्मद जीशान ने आईएएनएस से कहा, “भारत में प्रदर्शन पर व्यापक प्रतिक्रिया मिलती है। इसके साथ ही फेयर में किसी को भारत सहित कई अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों के काम को देखने का मौका मिलता है।”
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान में बहुतेरे संग्राहक नहीं हैं और इस मामले में भारत की खासियत यह है कि भारतीय संग्राहक समकालीन पाकिस्तानी कला में रुचि रखते हैं। वे हमारी कृतियों को घर लेकर लौटना चाहते हैं और गर्व से इसे प्रदर्शित करते हैं।”