नई दिल्ली, 14 मार्च (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने कहा कि पर्यावरणीय क्षति और जलवायु परिवर्तन ऐसे मुद्दे हैं जो आज मानव सभ्यता के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियों में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मानवता और पृथ्वी ग्रह का अस्तित्व बनाए रखने के लिए पर्यावरण की संरक्षा और इसका स्थाई प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है।
अंसारी शनिवार को यहां वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन का खतरा एक गंभीर वैश्विक चिंता है। उन्होंने कहा कि मानव की बढ़ती गतिविधियों से हमारे वातावरण में ग्रीन हाउस गैसें उत्सर्जित हो रही हैं, जिससे धरती का तापमान बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। इन गतिविधियों का जल संसाधन, कृषि, वन और पारिस्थितिकी प्रणालियों पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ रहा है, जिससे अरबों लोगों की खुशहाली प्रभावित हो रही है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में प्राकृतिक वातावरण की संरक्षा और उसमें सुधार लाना संविधान के अनुसार प्रत्येक भारतीय नागरिक का मौलिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि स्थाई विकास का लक्ष्य हासिल करने और पर्यावरण संबंधी वैश्विक चिंताओं से निपटने की भारत की नीति “साझा लेकिन पृथक दायित्व” के सिद्धांत से निर्देशित है।
भारत अनिवार्य या बाध्यकारी दृष्टिकोण की बजाय प्रेरक दृष्टि अपनाने को वरीयता देता है। इस नीति के अंतर्गत एक समग्र दृष्टिकोण अपनाते हुए राष्ट्रों के बीच घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि हम ऐसा नहीं कर पाए तो एक प्रजाति के रूप में मानव अस्तित्व के समक्ष गंभीर दुष्परिणाम सामने आएंगे।