चंडीगढ़, 27 अप्रैल (आईएएनएस)। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा हाल ही में पार्टी के नेताओं को दिया गया फरमान प्रदेश में कांग्रेस नेताओं को ठीक से गले नहीं उतर रहा है।
पंजाब में कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और विधायकों को पार्टी द्वारा चेतावनी दी गई है कि वे अगर लोकसभा चुनाव में संबद्ध क्षेत्रों से पार्टी प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित नहीं कर पाए तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
यहां ‘कार्रवाई’ का मतलब यह है कि मंत्रिमंडल से ऐसे मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है और अगले विधानसभा चुनाव में विधायकों का टिकट कट सकता है। हालांकि इस फरमान के विरोध में कुछ लोग आवाज उठाने लगे हैं, लेकिन अन्य लोग या तो मातहत बने हुए हैं या फिर मसले को लेकर चुप हैं, क्योंकि अनेक लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है।
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा और कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू इस फरमान के विरोध में सबसे मुखर हैं।
बाजवा ने इस तरह की चेतावनी के तर्कसंगत होने पर सवाल उठाया है, जबकि सिद्धू ने कहा है कि जीत या हार पार्टी नेतृत्व की सामूहिक जिम्मेदारी होगी।
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह अपने रुख पर कायम हैं और फरमान को लेकर हो रही आलोचना से बेफिक्र हैं।
उन्होंने घोषणा की है कि पंजाब में मौजूदा मंत्री, जो अपने संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशी को चुनाव जिताने में सफल नहीं होगा, उसे मंत्रिमंडल से हटा दिया जाएगा।
इसी प्रकार विधायकों के लिए उनका फरमान है कि जो विधायक अपने क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने में विफल होंगे, उनकी उम्मीदवारी पर अगले विधानसभा चुनाव में विचार नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा है कि इस कदम का मकसद बेहतर प्रदर्शन के आधार पर नेताओं को पुरस्कृत करना है।
अमरिंदर सिंह ने कहा कि कांग्रेस मिशन-13 को हासिल करने के लिए तैयार है, जिसका मतलब यह है कि पार्टी का लक्ष्य प्रदेश की सभी 13 सीटों पर जीत हासिल करना है।
पंजाब में 19 मई को मतदान होगा।