मोहाली- देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान रिकॉर्ड गति से बढ़ रहे कोविड-19 के मामलों और खस्ताहाल बुनियादी मेडिकल ढांचे के बीच मोहाली के दो निजी अस्पतालों ने बताया है कि प्रधानमंत्री (पीएम) केयर्स फंड के तहत संस्थानों द्वारा प्राप्त 20 वेंटिलेटर दोषपूर्ण हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अस्पतालों ने इस मुद्दे के बारे में जिला प्रशासन को भी लिखा और अधिकारियों से वेंटिलेटर की मरम्मत करने का आग्रह किया.
जिला प्रशासन के सूत्रों ने कहा कि आईवीवाई अस्पताल और ग्रेसियन सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल ने उपायुक्त गिरीश दयालन को पत्र लिखे हैं और कहा है कि उन्हें पिछले साल पीएम केयर्स फंड के तहत कुल 20 वेंटिलेटर (प्रत्येक अस्पताल 10 वेंटिलेटर) मिले, लेकिन वेंटिलेटर काम नहीं करते हैं.
प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, ‘चूंकि, कई मरीज दूसरे राज्यों से अस्पतालों में आ रहे हैं और यह बहुत ही तनावपूर्ण स्थिति है, इसलिए अस्पताल जिला प्रशासन के समक्ष इस मुद्दे को उठा रहे हैं.’
एक अस्पताल के प्रबंधन ने पत्र में लिखा, ‘हमें अधिकारियों से 10 वेंटिलेटर प्राप्त हुए, दुर्भाग्य से केवल एक ही काम करने की स्थिति में है, लेकिन जब भी इसका उपयोग किया जाता है, सैचुरेशन लेवल तुरंत गिर जाती है.’
वहीं, दूसरे अस्पताल के प्रबंधन ने कहा कि उसे 20 अगस्त, 2020 को पंजाब सरकार के माध्यम से पीएम केयर्स फंड के तहत दस वेंटिलेटर प्राप्त हुए थे और 24 अगस्त को अस्पताल में इसे स्थापित किया गया था.
पत्र में कहा गया, ‘पहले दिन से ये वेंटिलेटर ठीक से काम नहीं कर रहे थे, क्योंकि इनमें से कुछ लगातार ‘निगेटिव एयर प्रेशर’ अलार्म दे रहे थे और उनमें से एक में कुछ सॉफ्टवेयर समस्या थी. हमने उपलब्ध शिकायत संख्या पर शिकायत दर्ज कराई थी.’
अस्पताल प्रबंधन ने आगे कहा कि एक सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन के बाद जब डॉक्टरों ने रोगियों पर इन वेंटिलेटर का उपयोग करने की कोशिश की तो यह देखा गया कि उन रोगियों का सैचुरेशन लेवल नाटकीय रूप से गिर रहा था.
ग्रेसियन अस्पताल के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) आशीष चड्ढा ने बताया कि उन्होंने मोहाली प्रशासन के साथ इस मुद्दे को उठाया था क्योंकि उन्हें जो दस वेंटिलेटर मिले थे, वे काम नहीं कर रहे थे. आईवीवाई अस्पताल के सीओओ रंजीत ने भी पुष्टि की कि उन्होंने जिला प्रशासन को एक पत्र लिखा था.
उपायुक्त गिरीश दयालन ने कहा, ‘हमने पहले वेंटिलेटर की मरम्मत के लिए इंजीनियरों को लाने की कोशिश की थी. हमने राज्य सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाया है.’