जयदीप सरीन
चंडीगढ़, 27 सितम्बर (आईएएनएस)। बीते हफ्ते पंजाब का राजनैतिक-धार्मिक परिदृश्य काफी चहल-पहल से भरा रहा। एक ऐसी चहल पहल जिसका संबंध भविष्य से है। एक पंथ के प्रमुख की फिल्म का प्रदर्शन और इसके खिलाफ प्रदर्शन, एक स्वयंभू स्वामी का माफी मांगना और अकाल तख्त का उसे माफ करना और इस पर कट्टरपंथियों का भड़कना-ये सभी इसी का हिस्सा हैं।
मौजूदा राजनैतिक-धार्मिक तूफान के केंद्र में डेरा सच्चा सौदा और इसके मुखिया बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह हैं। 8 साल पहले इन्होंने सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जैसा वेष धारण किया था।
इसके खिलाफ मई-जुलाई 2007 में सिखों और डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों के बीच हिंसा में कई लोग मारे गए थे। सिखों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ अकाल तख्त ने डेरा सच्चा सौदा और बाब राम रहीम सिंह के सामाजिक बहिष्कार का फैसला सुनाया था। अकाली दल की सरकार भी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ थी।
इसी मामले में बीते हफ्ते गुरमीत राम रहीम सिंह ने माफी मांगी और अकाल तख्त ने तुरंत माफी दे दी। माफी मांगने के लिए अकाल तख्त के सामने पेश होने की शर्त को भी भुला दिया गया और माफी दे दी गई।
प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली अकाली-भाजपा सरकार ने बाब गुरमीत राम रहीम सिंह की फिल्म एमएसजी पर इसी साल जनवरी में रोक लगा दी थी। लेकिन, एमएसजी-2 पर ऐसी कोई रोक नहीं लगाई गई।
आम सिखों के विरोध को देखते हुए पंजाब में सिनेमा हाल और मल्टीप्लेक्स ने एमएसजी-2 पर खुद ही रोक लगा दी। इसके खिलाफ डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों ने पंजाब में जोरदार प्रदर्शन किया। इनके हंगामे की अकाली-भाजपा सरकार ने अनदेखी कर दी।
इस अनदेखी के तीन दिन के भीतर गुरमीत राम रहीम सिंह के माफी मांगने और उन्हें माफ कर देने का काम हुआ।
माना जा रहा है कि बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह और डेरा सच्चा सौदा पर अकाली दल-भाजपा सरकार की इस अचानक मेहरबानी की वजह राज्य में 18 महीने बाद होने वाला विधानसभा चुनाव है।
राज्य में आम आदमी पार्टी की पकड़ बढ़ी है। खासकर युवा पार्टी की तरफ आकर्षित हुए हैं। ऐसे में अकाली दल की चिंता का बढ़ना स्वभाविक हैं और इस चिता के बीच डेरा सच्चा सौदा के लाखों अनुयायी, जो मतदाता भी हैं, खास महत्व अख्तियार कर गए हैं।
डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय हरियाणा के सिरसा में है। हरियाणा और पंजाब भर में इसके मानने वाले फैले हुए हैं। हरियाणा के विधानसभा चुनाव में डेरा ने भाजपा को समर्थन दिया था। भाजपा की शानदार जीत में डेरा का बड़ा हाथ था।
लाखों मतदाताओं की शक्ति की वजह से गुरमीत राम रहीम सिंह के सामने सभी पार्टियों के सिर झुकते हैं। ऐसे में अकाली दल नहीं चाहता कि वह डेरा की नाराजगी मोल ले और लाखों मतों से हाथ धो बैठे।
यही है वह पृष्ठभूमि जिसमें पंजाब में बीते हफ्ते का राजनैतिक-धार्मिक नाटक खेला गया।