नई दिल्ली। न्यायमूर्ति राजेंद्र मल लोढ़ा ने रविवार को भारत के 41वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में मुख्य न्यायाधीश की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण करते ही लोढा ने कहा कि पहले न्यायपालिका दिखाई नहीं देती थी, लेकिन अब दिखाई देता है। शपथ लेने के तत्काल बाद लोढ़ा ने अपने बयान में कहा कि मैं जजों की निश्चित कार्य अवधि के पक्ष में नहीं हूं। जस्टिस लोढ़ा इस समय कोयला घोटाले, दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने जैसे कई महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई कर रहे हैं। अभी पिछले दिनों उन्होंने सांसदों व विधायकों के खिलाफ अदालतों में लंबित आपराधिक मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरी करने का फैसला सुनाया था। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह की उम्र संबंधी याचिका पर भी जस्टिस लोढ़ा की पीठ ने ही फैसला सुनाया था।
पिता भी थे राजस्थान हाईकोर्ट में जज
जस्टिस लोढ़ा का जन्म राजस्थान के जोधपुर में 1949 में हुआ था। उनके पिता एसके मल लोढ़ा भी राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे। जस्टिस आरएम राजेन्द्र मल, लोढ़ा 1973 में राजस्थान बार काउंसिल में वकील पंजीकृत हुए उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। जनवरी 1994 में वे राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए और 15 दिन बाद उन्हें बांबे हाईकोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया। वे 13 वर्ष तक बांबे हाईकोर्ट के न्यायाधीश रहे। फरवरी 2007 को वे राजस्थान हाईकोर्ट स्थानांतरित हुए। 13 मई 2008 को वे पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और 17 दिसंबर 2008 को वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने।
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