नई दिल्ली, 17 नवंबर (आईएएनएस)। नोटबंदी के चलते नकदी की समस्या से पहले से ही परेशान आम आदमी की मुसीबतें सरकार ने गुरुवार को नोट बदलने की सीमा घटाकर और बढ़ा दीं, जिसके कारण उसे चारों ओर से आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने गुरुवार को पुराने अमान्य नोटों को बदलने की सीमा 4,500 रुपये से घटाकर 2,000 रुपये कर दी।
आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने पत्रकारों को बताया कि बैंक को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट देकर नए नोट हासिल करने की सीमा शुक्रवार से 4,500 रुपये से घटाकर 2,000 रुपये रह जाएगी।
वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने यह भी कहा कि इस तरह के लेनदेन के लिए ऊंगली में स्याही लगाने की प्रक्रिया उसी तरह जारी रहेगी।
नोटबंदी का फैसला आम आदमी के लिए सदमे की तरह था, जिसे अब बैंक और एटीएम के बाहर कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है। कतार में खड़ा होने के लिए लोगों को स्कूल, कॉलेज और कार्यालयों से छुट्टी लेनी पड़ रही है।
एमएनसी में काम करने वाले जगमोहन सिंह ने आईएएनएस से कहा, “यह तो ऐसा ही है जैसे घाव पर नमक छिड़कना। हमें नकदी की कमी के चलते जो परेशानी उठानी पड़ रही है उसे छोड़ भी दें तो, अब सरकार चाह रही है कि हम अपना पूरा समय बैंकों के आगे खड़े-खड़े बिताएं।”
रात्रि पाले में काम करने के बाद जगमोहन बैंक ऑफ बड़ौदा की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित शाखा के बाहर कतार में लग गए।
जगमोहन ने कहा, “एक दिन सीमा बढ़ाई जाती है तो अगले ही दिन उसे घटा दिया जाता है। सरकार जिस मनमाने तरीके से इसे लागू कर रही है वह माफ करने लायक नहीं है।”
इसी कतार में लगे स्कूली छात्र आरिब हुसैन ने भी नोटबंदी पर अपना गुस्सा जाहिर किया।
हुसैन ने आईएएनएस से कहा, “पुराने नोट बदलवाने के लिए मुझे आज स्कूल छोड़ना पड़ा और जब मैं यहां आया तो मुझे पता लगा कि नोट बदलवाने की सीमा कम कर दी गई है। यह भी कोई तरीका है? क्या सरकार चाहती है कि हम अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़ दें और बैंकों तथा एटीएम के बाहर लाइन में लगे रहें।”
फूल बेचने वाले सहदेव गुप्ता ने कहा कि उन्हें अपना धंधा चलाने में बहुत कठिनाई हो रही है, क्योंकि उनसे अधिकतर लोग नकद देकर ही फूल खरीदते हैं, और नकद रुपये इस समय बहुत मुश्किल से मिल रहे हैं।
सहदेव ने कहा, “अगर ऐसे ही कुछ दिन और चलता रहा तो मुझे भारी घाटा हो जाएगा।”