नई दिल्ली, 17 अप्रैल (आईएएनएस)। वर्ष 2016-2018 के बीच करीब 50 लाख लोगों ने अपनी नौकरियां गंवा दी है। एक रपट में कहा गया है कि नौकरियों में ‘गिरावट की शुरुआत’ नोटबंदी के साथ शुरू हुई। हालांकि इन रुझानों का ‘कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं किया जा सका है।’
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की यह रपट सीएमआईई-सीपीडीएक्स के आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें बताया गया है कि भारत के बेरोजगारों में अधिकांश युवा हैं। रपट का शीर्षक ‘स्टेट ऑफ वर्किं ग इंडिया’ है।
बयान के अनुसार, “सामान्य तौर पर, महिलाएं पुरुषों से ज्यादा प्रभावित हैं। उनमें बेरोजगारी दर ज्यादा है। इसके साथ ही श्रम बल भागीदारी दर भी कम है।”
रपट में खुलासा हुआ है कि सामान्य तौर पर बेरोजगारी 2011 के बाद धीरे-धीरे बढ़ी है। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण और सीएमआईई-सीपीडीएक्स की रपट में बताया गया है कि 2018 में कुल बेरोजगारी दर छह प्रतिशत के आस-पास है, जोकि 2000 से 2011 के बीच के आंकड़े से दोगुना है।
रपट के अनुसार, “शहरी महिलाओं में, कार्यशील आयु आबादी में स्नातक महिलाएं 10 प्रतिशत हैं, जबकि इनमें 34 प्रतिशत बेरोजगार हैं। 20-24 वर्ष आयु समूह में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है।
रपट के अनुसार, “शहरी पुरुषों में, उदाहरण के लिए इस आयु समूह की कार्यशील आयु आबादी में 13.5 प्रतिशत हैं, लेकिन इसमें 60 प्रतिशत आबादी बेरोजगार है।”
इसके अलावा, रपट में कहा गया है कि ‘उच्च शैक्षणिक योग्यता वालों के बीच खुली बेरोजगारी में वृद्धि के अलावा, कम पढ़े-लिखे नौकरीपेशा लोगों ने नौकरियां गंवाई है और 2016 के बाद काम के अवसर में भी कमी आई है।’