काठमांडू, 3 मई (आईएएनएस)। नेपाल आपदा समिति ने रविवार को 4050 विदेशी राहतकर्मियों को वापस भेजने की सिफारिश की है और कहा है कि उसका अपना सुरक्षा बल ही राहत एवं तलाशी अभियान चलाने के लिए सक्षम है। नेपाल में 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप से भारी तबाही हुई है।
उपप्रधानमंत्री बामदेव गौतम की अध्यक्षता में केंद्रीय प्राकृतिक आपद समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। गौतम के पास गृह मंत्रालय का भी प्रभार है।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता लक्ष्मी प्रसाद ढकाल ने बैठक के बाद आईएएनएस से कहा, “बैठक में सभी विदेशी राहत एवं बचाव कर्मियों को वापस भेजने का फैसला लिया गया क्योंकि उनका मिशन करीब-करीब पूरा हो चुका है। अब मलबों में कुछ ही शव बचे हो सकते हैं जिसे हमारी सुरक्षा एजेंसिया पूरा कर सकती हैं।”
इन राहत एवं बचावकर्मियों को स्वदेश भेजने के बाद कुछ सौ विदेशी राहतकर्मी में देश में रह जाएंगे जो राहत वितरण में लगे हैं।
यह फैसला मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष भेज दिया गया है जिसकी बैठक सोमवार को होने की संभावना है। ढकाल ने कहा, “हम विदेशी राहत कर्मियों की मदद के लिए आभार जताते हैं।”
उल्लेखनीय है कि 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप के बाद नेपाल ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से राहत एवं बचाव कर्मियों को भेजने के लिए मदद की गुहार लगाई थी।
नेपाल में भारत, चीन, पाकिस्तान, श्रीलंका, तुर्की, बांग्लादेश, इजरायल, नीदरलैंड, भूटान, पोलैंड, अमेरिका, जापान, मलेशिया, फ्रांस, स्पेन, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, थाइलैंड, बेल्जियम, रूस, नार्वे, ब्रिटेन, कनाडा, और स्विजरलैंड के राहत दल बचाव कार्य में जुटे हैं। इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात, जार्डन, स्वीडन, ओमान और इंडोनेशिया ने भी अपने दल भेजे हैं।