अनिल गिरि
अनिल गिरि
काठमांडू, 9 अगस्त (आईएएनएस)। नेपाल के राजनीतिक दल इस हिमालयी देश को छह संघ शासित राज्यों में विभाजित करने पर सहमत हो गए हैं। इसके साथ ही नेपाल अपने संविधान को अंतिम रूप देने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ गया है।
नेपाल के चार राजनीतिक दल-कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनीफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल), यूनीफाइड कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-माओवादी (यूसीपीएन-एम) और मधेसी जनाधिकार फोरम-लोकतांत्रिक- ने शनिवार रात इसके लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
ये सभी राजनीतिक दल देश को छह संघ शासित राज्यों में विभाजित करने पर राजी हो गए और प्रस्तावित राज्यों की सीमा के लिए एक मसौदा भी तैयार कर लिया।
इस समझौते के तत्काल बाद हालांकि कई राजनीतिक समूहों ने इस पर आपत्ति जताई और रविवार को उन्होंने देश भर में विरोध प्रदर्शन किया।
सभी छह राज्यों की सीमा भारत के साथ लगी होगी, और उनमें से चार की सीमा चीन की सीमा से स्पर्श करेगी।
इस समझौते पर हालांकि कई राजनीतिक दलों ने आपत्ति जताई है।
दक्षिणी नेपाल के मैदानी हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाली मधेसी पार्टियों और कुछ देशज समूहों ने इस समझौते का विरोध किया है और एक समग्र संविधान का आह्वान किया है।
पार्टियां इस बात पर सहमत हैं कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति विभिन्न लिंग और समुदाय के होने चाहिए।
नेपाली कांग्रेस के वार्ताकार कृष्ण प्रसाद सितौला ने कहा कि पार्टियां हालांकि धर्मनिरपेक्षता, नया संविधान बनने के बाद समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत होने वाले आम चुनाव में राजनीतिक दलों की लक्ष्मणरेखा जैसे मुद्दों पर सहमत नहीं हो पाईं।
सितौला ने कहा कि संविधान सभा अब अगस्त के अंत तक नया संविधान पेश कर सकेगी।
पार्टियां ऊपरी सदन के सदस्यों की संख्या 45 से बढ़ाकर 51 करने पर भी सहमत हो गईं।
नए संविधान के अनुसार, हरेक प्रांतों से आठ सदस्य ऊपरी सदन में आएंगे, जिसमें तीन महिलाएं, एक दलित और एक अपंग या एक अल्पसंख्यक समूह से होंगे।
अन्य तीन सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाएंगे।
प्रस्तावना की भाषा में और मौलिक अधिकार के प्रावधानों में भी कुछ बदलाव किए गए हैं, जैसा कि जनसुनवाई के दौरान मांग की गई थी।
नेपाल की संविधान सभा को देश का नया संविधान तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। संविधान सभा में 601 सदस्य हैं। मौजूदा संविधान सभा देश की संसद के रूप में भी काम करती है। इसका चुनाव 2013 में हुआ था। पहली संविधान सभा नया संविधान तैयार नहीं कर पाई थी।