काठमांडू, 22 जनवरी (आईएएनएस)। नेपाल पिछले पांच महीनों से जारी मधेशी आंदोलन पर प्रधानमंत्री के.पी शर्मा ओली और उनकी पार्टी सीपीएन-यूएमएल का रुख जहां सख्त है। वहीं, मंगलवार को तराई क्षेत्र में संविधान में अधिक प्रतिनिधित्व और प्रांतीय सीमाओं के पूर्नसीमांकन की मांग कर रहे तीन आंदोलनकारियों की मौत पुलिस की गोलीबारी में हो गई।
काठमांडू, 22 जनवरी (आईएएनएस)। नेपाल पिछले पांच महीनों से जारी मधेशी आंदोलन पर प्रधानमंत्री के.पी शर्मा ओली और उनकी पार्टी सीपीएन-यूएमएल का रुख जहां सख्त है। वहीं, मंगलवार को तराई क्षेत्र में संविधान में अधिक प्रतिनिधित्व और प्रांतीय सीमाओं के पूर्नसीमांकन की मांग कर रहे तीन आंदोलनकारियों की मौत पुलिस की गोलीबारी में हो गई।
शुक्रवार तड़के प्रदर्शनकारियों ने बाजारों को बंद करवा दिया और तराई के कई हिस्सों में प्रदर्शन हिंसक होने लगा। प्रदर्शनकारी पुलिस के साथ उलझने लगे और आगजनी करने लगे। इसके जबाव में पुलिस ने गोलीबारी की और तीन प्रदर्शनकारी मारे गए। अब तक इस आंदोलन में कुल 59 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें से 11 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
संयुक्त लोकतांत्रिक मधेशी मोर्चा (एसएलएमएम) जिसे मधेशी मोर्चा के नाम से जाना जाता है, पूरे तराई क्षेत्र में आन्दोलन कर रहा है। इसमें चार मधेशी पार्टियां शामिल है- तराई मधेश लोकतांत्रिक पार्टी जिसके प्रमुख महंता ठाकुर हैं, सदभावना पार्टी जिसके प्रमुख राजेंद्र महतो हैं, संघीय समाजवादी फोरम जिसके प्रमुख उपेंद्र यादव और तराई मधेश लोकतांत्रिक पार्टी-नेपाल जिसके प्रमुख महेंद्र यादव हैं।
मधेशी मोर्चा ने गुरुवार को पुलिस की गोलीबारी में तीन आंदोलनकारियों की मौत की निंदा की है और तराई क्षेत्र में ‘राज्य प्रायोजित आतंकवाद’ को तुरंत रोकने की मांग की है।
वहीं, भारत ने भी अपने पड़ोसी देश में चल रहे राजनीतिक संकट को लेकर चिंता जाहिर किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि भारत मोरंग जिले में हुई पुलिस फायरिंग में तीन आन्दोलनकारियों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक संकट का राजनीतिक समाधान होना चाहिए।