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 नियमित प्रक्षेपास्त्र परीक्षण से भारत, पाकिस्तान में यथास्थिति बरकरार (आईएएनएस विशेष) | dharmpath.com

Thursday , 28 November 2024

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नियमित प्रक्षेपास्त्र परीक्षण से भारत, पाकिस्तान में यथास्थिति बरकरार (आईएएनएस विशेष)

नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस/इंडियास्पेंड)। भारत ने पिछले महीने इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (आईआरबीएम) अग्नि-3 का परीक्षण किया, जिसकी मारक क्षमता 3,000 किलोमीटर है। पाकिस्तान ने भी गत महीने 1,300 किलोमीटर मारक क्षमता वाले मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (एमआरबीएम) गौरी का परीक्षण किया।

नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस/इंडियास्पेंड)। भारत ने पिछले महीने इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (आईआरबीएम) अग्नि-3 का परीक्षण किया, जिसकी मारक क्षमता 3,000 किलोमीटर है। पाकिस्तान ने भी गत महीने 1,300 किलोमीटर मारक क्षमता वाले मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (एमआरबीएम) गौरी का परीक्षण किया।

दोनों ही प्रक्षेपास्त्र दोनों ही देशों के ऐसे आयुध भंडार का हिस्सा हैं, जो दोनों ही देशों में लगभग संपूर्ण इलाके तक मार करने की क्षमता रखते हैं और अपने साथ पारंपरिक और परमाणु बम ले जाने में सक्षम हैं। ऐसे हथियारों से एक बात यह भी तय होती है कि दोनों देश कभी युद्ध नहीं करेंगे।

फॉरेन पॉलिसी के मुताबिक, “दोनों देश 1998 में परमाणु बम की क्षमता हासिल करने के बाद लगातार ऐसे परीक्षण कर रहे हैं।”

परमाणु बम से लैस प्रक्षेपास्त्र महाविनाश के हथियार होते हैं और इसके जरिए शत्रु देश में भय पैदा किया जाता है और उसे पहले हमला करने से रोका जाता है।

भारत में मुख्यत: पाकिस्तान और चीन के खतरे को ध्यान में रखकर प्रक्षेपास्त्रों का विकास किया जा रहा है।

11 मई 1998 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने परमाणु बम के तीन सफल परीक्षण के बाद दुनिया को यह स्पष्ट कर दिया कि भारत परमाणु बम क्षमता संपन्न देश बन गया है। इसके लगभग तीन सप्ताह बाद पाकिस्तान ने भी ऐसे ही परमाणु परीक्षण किए।

इन परीक्षण के करीब 17 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर इस उपलब्धि के लिए भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान की सराहना की है।

मोदी ने 11 मई 2015 को ट्विटर संदेश में कहा, “हम 1998 में इसी दिन पोखरण परीक्षण की सफलता के लिए अपने वैज्ञानिकों और राजनेताओं के योगदान को सलाम करते हैं।”

इन परीक्षणों के 17 साल बाद भारत और पाकिस्तान ने प्रक्षेपास्त्रों का परीक्षण किया है। इन प्रक्षेपास्त्रों से पारंपरिक और परमाणु बम दोनों देशों में लगभग संपूर्ण क्षेत्र में कहीं भी गिराए जा सकते हैं।

भारत के प्रक्षेपास्त्र तरकश में पृथ्वी और अग्नि प्रक्षेपास्त्र महत्वपूर्ण हैं।

पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र एक शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (एसआरबीएम) है, जो 150-350 किलोमीटर के दायरे में मार कर सकता है। यह पाकिस्तान के लाहौर, सियालकोट, इस्लामाबाद, रावलपिंडी जैसे शहरों तक पहुंच सकता है।

पृथ्वी श्रंखला के प्रक्षेपास्त्र का विकास 1983 में शुरू हुआ।

अग्नि-1 और 2 की मारक क्षमता क्रमश: 700 किलोमीटर और 2,000 किलोमीटर है। इसकी जद में लाहौल, इस्लामाबाद, रावलपिंडी, मुल्तान, पेशावर, करांची, क्वे टा और ग्वादर आते हैं। अग्नि श्रंखला के प्रक्षेपास्त्रों का विकास 1999 में शुरू हुआ है। अग्नि-1 को 2004 में सेना में शामिल कर लिया गया है।

अग्नि-2 प्रक्षेपास्त्र से पाकिस्तान में कहीं भी हमला किया जा सकता है। चीन के कुछ हिस्से हालांकि इसकी जद से बाहर रह जाते हैं।

भारत अग्नि-3, 4 और पांच का भी विकास कर रहा है। कहा जा सकता है कि इनका विकास मुख्यत: चीन को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।

भारत के जवाब में पाकिस्तान हत्फ श्रंखला के बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्रों का लगातार विकास कर रहा है। इनकी मारक क्षमता अभी 70 किलोमीटर से 2750 किलोमीटर तक है। पाकिस्तान के प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज (एनआईएएस) की रिपोर्ट के मुताबिक ये प्रक्षेपास्त्र चीन और उत्तर कोरिया के बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्रों की ही किस्में हैं।

पाकिस्तान के प्रक्षेपास्त्रों में एसआरबीएम गजनवी भी प्रमुख है। यह चीन के एम-11 की एक अन्य किस्म है। इसकी क्षमता 270 से 350 किलोमीटर है। इसकी जद में भारत के लुधियाना, अहमदाबाद और दिल्ली के बाहरी इलाके आते हैं।

हाल ही में परीक्षण किए गए एमआरबीएम गौरी प्रक्षेपास्त्र की क्षमता 1,300 किलोमीटर है। एनआईएएस की रिपोर्ट के मुताबिक यह उत्तर कोरिया के प्रक्षेपास्त्र की किस्म है। रिपोर्ट के मुताबिक इसकी तैनाती हो गई है और इसकी जद में भारत के दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, नागपुर, भोपाल और लखनऊ शहर आते हैं।

मार्च में परीक्षण किए गए आईआरबीएम प्रक्षेपास्त्र शाहीन-3 की क्षमता 2,750 किलोमीटर है।

(एक गैर लाभकारी, जनहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड डॉट ऑर्ग के साथ एक व्यवस्था के तहत। अभीत सिंह सेठी संस्थान में नीति विश्लेषक हैं। यहां प्रस्तुत विचार उनके अपने हैं। इसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के जूनियर रिसर्च फेलो राम्या पानुगंटी से भी सहयोग लिए गए हैं।)

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