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निजी क्षेत्र में 27 फीसदी आरक्षण का विरोध

नई दिल्ली, 22 फरवरी (आईएएनएस)। आरक्षण मुक्त भारत का सपना लिए कई राज्यों से आए आंदोलनकारियों ने ‘आरक्षण विरोधी आंदोलन’ के बैनर तले राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की निजी क्षेत्र में 27 फीसदी आरक्षण की शिफारिशों के खिलाफ प्रदर्शन किया और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत को ज्ञापन सौंपा।

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे यू. एस. राणा ने कहा, “देश में दो वर्गो के बीच खाई को आरक्षण रूपी दानव द्वारा बढ़ाया जा रहा है। आरक्षण के कारण देश में सबका साथ सबका विकास का कोई मतलब नहीं रह जाता।”

कर्नल अशोक चौहान ने आरक्षण को दीमक की उपमा दी और कहा कि यह धीरे-धीरे इस देश को खोखला कर रहा है।

आरक्षण विरोधी आंदोलन के महामंत्री तजेन्द्र सिंह पंवार ने कहा कि बिहार चुनाव में प्रधानमंत्री के वक्तव्य, जिसमें ‘आरक्षण की मौजूदा स्थिति पर कोई भी विचार मेरे जीते जी नहीं होगा’ द्वारा यह स्पष्ट हो गया है कि आरक्षण की यह लड़ाई लंबी और संघर्ष भरी रहने वाली है।

‘आरक्षण विरोधी आंदोलन’ ने 13 दिसंबर, 2015 को भी धरना रखा था, जिसमें सभी वर्गो, जातियों और सर्व समाज का सहयोग और भागीदारी थी। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य समाज और पीड़ित व शोषित दलित समाज के लोगों की उपस्थिति से आने वाले समय में देशव्यापी आंदोलन की आहट साफ झलक रही थी।

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