वाशिंगटन, 6 सितंबर | मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं को बल मिला है। राष्ट्रीय वैमानिकी और अंतरिक्ष प्रबंधन (नासा) के क्यूरिऑॅसिटीमार्स रोवर ने मंगल ग्रह पर बादलों की पहचान की है। शोधकर्ताओं का मानना है कि बादलों का निर्माण पानी और बर्फ के स्फटिक के संचय की वजह से हुआ है। एस्ट्रोबायोलॉजी पत्रिका ने नासा एम्स अनुसंधान केंद्र में ग्रहों के वैज्ञानिक रॉबर्ट हैबरले के हवाले से कहा, “बादल ग्रह की जलवायु प्रणाली का हिस्सा है।”
उन्होंने कहा, “इसका स्वभाव का अध्ययन हवा और तापमान की जानकारी देगा।”
हैबरले ने कहा, “कुछ अध्ययनों में अतीत में ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण बादलों से ग्रह के गर्म होने की बात कही गई है। गर्म वातावरण जीवन के लिए ज्यादा अनुकूल है।”
अब तक क्यूरिऑसिटी का ध्यान मंगल की सतह पर था, जिसके तहत ग्रह के चट्टानों को खोदना और धूल की जांच करना था।
अब अध्ययन आकाश की तरफ केंद्रित है। इसी के तहत, क्यूरिऑसिटी द्वारा मंगल ग्रह से भेजी गई तस्वीरों के आधार पर बादल की पहचान हो पाई है।