हरदा, 21 दिसम्बर – मध्य प्रदेश के हरदा जिले में एक युवक के लिए उसका नाम ही मुसीबत का सबब बन गया। नाम के फेर में उसे दो माह की जेल काटनी पड़ी। लगभग दो वर्ष तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद व्यक्ति को खुद को बेगुनाह साबित करने में सफलता मिली है। अब उसने राज्य सरकार पर हर्जाने का दावा किया है।
हरदा के शुक्ला मुहल्ला में रहने वाले इरफान को पुलिस ने बगैर किसी जांच पड़ताल के एक नाबालिग के अपहरण के आरोप में जेल भेज दिया था। वह अपने को बेगुनाह बताता रहा लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गई। वह दो माह तक जेल में रहा। जमानत पर रिहा हुआ तो उसने खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए जिला एवं सत्र न्यायालय में दस्तक दी।
जेल जाने के कारण इरफान और उसके परिवार को मुसीबतों ने घेर लिया। इरफान के पिता बाबू खां बताते हैं कि बेटे के जेल जाने और कानूनी लड़ाई लड़ने से उनके परिवार की माली हालत बिगड़ गई है। दुकान बिक गई है, बेटे का तो अब कहीं रिश्ता ही नहीं हो पा रहा है। हर कोई यही सवाल करता है कि आपका बेटा तो जेल गया था।
अधिवक्ता आर. के. यादव ने बताया कि पुलिस ने नाका क्षेत्र में रहने वाले इरफान की जगह शुक्ला मुहल्ला में रहने वाले इरफान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। न्यायालय में शुक्ला मुहल्ला के इरफान ने अपनी बेगुनाही साबित कर दी है।
यादव के अनुसार, बेगुनाह के जेल जाने से उसके परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा प्रभावित हुई और आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा है। इरफान की ओर से राज्य सरकार को हर्जाने का नेाटिस भेजा गया है।
बताया गया है कि जिस नाबालिग लड़की के अपहरण के आरोप में इरफान को जेल जाना पड़ा था। अन्याय के खिलाफ लड़ाई में परिवार भी इरफान का साथ दे रहा था। उसका कहना था कि पुलिस ने आरोपी की बजाय निर्दोष इरफान को पकड़ा है। इसी कारण इरफान को न्यायालय ने निर्दोष माना है।
पुलिस की लापरवाही और नासमझी ने एक युवक और उसके परिवार की जिंदगी ही बदहाल कर दी है। अब देखना है कि जिनकी बदौलत इरफान का यह हाल हुआ है, उन्हें क्या सजा मिलती है। इरफान के लौटे दिन तो वापस नहीं आ सकते लेकिन हर्जाना मिलने से उसका दर्द कुछ हद तक कम हो सकता है।