संगठन के संयोजक सुमित अग्रवाल ने कहा कि देश की लगभग 80 फीसदी जनता जनरल श्रेणी की बोगियों में सफर करती है। एक तरफ तो देश में बुलेट ट्रेन चलाए जाने की अनुशंसा हो रही है, मगर ट्रेनों की जनरल बोगियों में न तो सुविधाएं बढ़ाई जा रही है और न ही बोगियों की संख्या। उन्होंने कहा कि जनरल बोगी में टिकट 24 घंटे तक वैध होता था, लेकिन इसे भी घटाकर तीन घंटे कर दिया गया है। यह ‘प्रभु’ की नाइंसाफी है, गरीबों के प्रति बेदर्दी है।
अग्रवाल ने कहा कि व्यापारी अपनी सुविधा अनुसार, किसी भी गृह नगर के स्टेशन से पहुंचने एवं वापसी के लिए टिकट पूर्व से खरीद लेते थे, जो कि अब संभव नहीं हो पाएगा और लोगों को भीड़ में खड़े रहकर टिकट लेना पड़ेगा। इससे आमतौर पर व्यापारियों की ट्रेनों के छूटने की संभावनाएं बलवती होंगी।
उन्होंने कहा कि ईमेल आईडी पर एक माह में आवंटित होने वाले टिकटों की संख्या 10 से घटाकर 6 कर दी गई हैं। यह आमजन का शोषण नहीं तो और क्या है?
वहीं, गल्ला प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष रामस्वरूप साहू ने कहा कि रेल मंत्रालय की दमनकारी नीतियों के चलते आम नागरिकों का सफर मंहगा होता जा रहा है। एक ओर कच्चे तेल की अंर्तराष्ट्रीय कीमतों में लगभग तीन चौथाई की कमी आई है। इसके बावजूद रेल मंत्रालय किराया कम करने के बजाय बढ़ा रहा है।
उन्होंने कहा कि 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे का पूरा टिकट लगाने के साथ ही वर्तमान सरकार के 14 माह के कार्यकाल में दो बार रेल किराये में बढ़ोतरी की गई, जो चिंता का विषय है।
साहू ने कहा कि लोकसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने अच्छे दिनों का विश्वास जनता को दिलाया था, लेकिन अच्छे दिन सिर्फ कारपोरेट घरानों के ही आए हैं, आम जनता के नहीं।
व्यापारियों ने समस्याओं के निराकरण की मांग के साथ आंदोलन की चेतावनी भी दी।